(अंबिकापुर) अंबिकापुर जेल में बंदियों से ऑनलाइन वसूली के आरोप में चार जेल प्रहरी बर्खास्त

  • 19-Oct-25 01:34 AM

अंबिकापुर, 19 अक्टूबर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ की जेलों में बंदियों से अवैध वसूली और ऑनलाइन उगाही के गंभीर मामले पर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। अंबिकापुर केंद्रीय जेल में तैनात चार जेल प्रहरियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। बर्खास्त किए गए प्रहरियों में नीलेश केरकेट्टा, लोकेश टोप्पो, ललईराम और चंद्र प्रकाश शामिल हैं। इन पर जेल में बंद एक कैदी से ऑनलाइन माध्यम से अवैध वसूली करने के आरोप सिद्ध हुए हैं। मामले की शुरुआत उस वक्त हुई जब हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी मुकेशकांत मल्हार की पत्नी अमरीका बाई ने जेल प्रहरियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि उसका पति जेल में लगातार प्रताडऩा का शिकार हो रहा है। उसे मामूली सुविधाओं — जैसे फोन कॉल, परिवार से मिलने की अनुमति या साफ-सफाई के सामान के लिए भी पैसे देने को मजबूर किया जाता है। अमरीका बाई ने आरोप लगाया कि उसने अपने पति की सुरक्षा और सुविधा के लिए जेल कर्मियों को अब तक 70 से 80 हजार रुपये तक ऑनलाइन ट्रांसफर किए हैं। उसने इसके सबूत के रूप में मोबाइल लेन-देन के स्क्रीनशॉट और बैंक ट्रांजेक्शन डिटेल्स भी अधिकारियों को सौंपे। शिकायत के बाद वरिष्ठ जेल अधिकारियों ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच कराई। जांच के दौरान यह पाया गया कि संबंधित चारों जेल प्रहरियों ने वास्तव में बंदी के परिवार से ऑनलाइन माध्यमों से रुपये वसूले थे। आरोप प्रमाणित होने के बाद विभाग ने इन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया। जेल प्रशासन सूत्रों के अनुसार, यह मामला सिर्फ एक बंदी तक सीमित नहीं हो सकता। जांच में कई और बंदियों से इसी तरह के उगाही के संकेत मिले हैं। संभावना जताई जा रही है कि पूरे तंत्र में कुछ और अधिकारी या कर्मचारी भी संलिप्त हो सकते हैं। इस कारण से विभाग ने अन्य जेलों में भी समान शिकायतों की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि जेलों में किसी भी प्रकार की अवैध उगाही या बंदियों के शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक, प्रदेशभर की सभी जेलों में निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। अंबिकापुर केंद्रीय जेल से जुड़े इस प्रकरण ने जेल व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर, बल्कि बंदियों के मानवाधिकारों और पारदर्शिता पर भी गहरी चिंता पैदा करता है।
त्रिपाठी




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