(अयोध्या)डॉ. सुनील तिवारी को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने किया सम्मानित

  • 27-Sep-25 12:00 AM

-शोध के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक विचारों पर गहन अध्ययन रहा प्रमुख विषयअयोध्या,27 सितंबर (आरएनएस)। श्री परमहंस शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार तिवारी को उनके शोध कार्यों को लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109 वीं जयंती पर सम्मानित किया गया। यह सम्मान पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली धनकिया जयपुर मे राजस्थान सरकार की विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी व अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख अरुण जैन द्वारा संयुक्त रूप से दिया गया। यह सम्मान डॉ. तिवारी के गहन शोध, समर्पण और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।डॉ. सुनील कुमार तिवारी ने पी.एच.डी. शोधकार्य के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक विचारों पर गहन अध्ययन एवं प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान डॉ तिवारी ने बताया पंडित दीनदयाल उपाध्याय सादा जीवन, उच्च विचार और दृढ़ संकल्प व्यक्तित्व के धनी थे। वे एक मेधावी छात्र, संगठक लेखक, पत्रकार, विचारक, राष्ट्रवादी और एक उत्कृष्ट मानवतावादी थे। उन्होंने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के एक मजबूत, जीवंत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के विचार को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया। पूंजीवाद और समाजवाद की जगह पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने स्वराज के रूप में गांधी जी द्वारा परिकल्पित नैतिक मूल्यों और लोकव्यवहार के आधार पर आर्थिक नीतियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके लिए राजनीति जन सेवा का माध्यम थी।वह कहते थे कि राजनीतिक व्यक्ति को जन सेवक के रूप कार्य करना चाहिए।उनका मानना था कि स्वदेशी और लघु उद्योग भारत की आर्थिक योजना की आधारशिला होनी चाहिए, जिसमें सद्भाव, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय नीति और अनुशासन का समावेश हो।उनका मानना था कि भारतीयता, धर्म, धर्मराज्य, राष्ट्रवादी और अंत्योदय की अवधारणा से ही भारत को विश्व गुरु का स्थान हासिल हो सकता है।पण्डित दीन दयाल एक ऐसी व्यवस्था के विरोधी थे जो रोजगार के अवसर को कम करती है लेकिन सामाजिक समानता, पूंजी और सत्ता के विकेंद्रीकरण के पक्षधर थे। स्वतंत्रता, समानता और न्याय की गारंटी देने वाली भारतीय संस्कृति पर उनका विचार बिल्कुल स्पष्ट था।




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