(अशोकनगर) अपने शिल्प से चंदेरी को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाले बुनकरों का चुनाव से पहले झलका दर्द

  • 29-Oct-23 12:00 AM

अशोकनगर,29 अक्टूबर (आरएनएस)। चंदेरी साड़ी को विश्व पटल पर विख्यात करने में चंदेरी के बुनकरों का प्रमुख योगदान है। हस्तशिल्प की इस बेजोड़ कलाकारों के इन पात्रों का जीवन साड़ी बुनने से गुजर गया, लेकिन इनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कोई राजनेता आज तक आगे नहीं आया। ऐसे में साढे पांच हजार से अधिक बुनकरों में से अधिकतर के मन में राजनेताओं को लेकर टीस है। बुनकरों का दर्द यह है कि अब चुनावों में सभी दलों के नेता वोट मांगने तो आएंगे, लेकिन चंदेरी की कला को बढ़ावा देने और उसके कलाकारों की बेहतरी के लिए बेहतर कार्ययोजना और उस अमल की मंशा के साथ किसी के आने की उम्मीद इन्हें नहीं है। इसका कारण यह है कि इतने सालों में उनसे चुनाव के दौरान जो वादे किए गए थे पूरा होना तो दूर इसके बाद उनकी पूछने वाले तक उनकी गलियों में नजर नहीं आते। अपने दिलों में इस तरह का दर्द पिछले 55 सालों से साड़ी बुनते हुए झेल रहे 70 साल के बुनकर मुन्नालाल कोली का दर्द झलक उठा। उन्होंने बताया कि थोड़ा बहुत सामान जो सरकार भेती है वह भी हमें मिल नहीं पाता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सामान भेजा जाता है? तब बुजुर्ग बुनकर ने बताया कि कंघी, रेशम, लकड़ी, जरी आदि ऐसी सामगी है जो नहीं मिलती है। मुन्नालाल का कहना है कि इतने सालों के बाद हमें भी विश्वास नहीं है कि ये नेता लोग कुछ कर सकेंगे। इसीलिए सेठों के द्वारा दी जारही मजदूरी से परिवार का भरण पोषण होपा रहा है, वही कर रहे हैं। अनिल पुरोहित




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