(आजमगढ़)रानी की सराय कस्बे में कई दशक से होता है मूर्तियों का निर्माण
- 26-Sep-25 12:00 AM
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आजमगढ़ 26 सितंबर (आर एन एस )शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो चुका है वहीं पंडाल समितियां द्वारा पंडाल को आकर्षक बनाने के लिए भी तैयारियां तेज हो गई है नवरात्रि के पहले दिन ही प्रतिमाओं को रख करके पूजन अर्चन भी शुरू हो गया है कहीं-कहीं प्रतिमाएं नवरात्र प्रारंभ होने के एक दिन पहले तो? कहीं दशहरे के दिन से ही प्रतिमाओं को स्थापित कर दिया जाता है समितियां द्वारा नवरात्रि की पूर्वी पंडालों में देवी प्रतिमाओं को स्थापित कर दिया है। दशहरे के साथ शुरू हुए विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न तिथियां को मेले का आयोजन किया जाता है वहीं बंगाल के कारीगरों द्वारा बुकिंग हुए देवी प्रतिमाओं को अंतिम रूप से दिया जा रहा हैकई साल से बंगाल के कारीगर बना रहे हैं दुर्गा प्रतिमारानी की सराय कस्बे के एक समिति के सदस्य ने बताया कि पहले स्थानीय लोगों द्वारा देवी प्रतिमाओं को बनाया जाता और इसकी तैयारी लगभग एक दो महीने पहले से की जाती थी लेकिन लगभग कईसाल से बंगाल से आए कार्यक्रमों द्वारा ही देवी प्रतिमाओं को बनाया जा रहाहै ।बांस बल्ली के सहारे बनता था पंडालइन दोनों जहां आधुनिक तरीके से देवी प्रतिमाओं रखने के लिए पूजा पंडाल समिति द्वारा पंडालो को दो दिन से ही तैयारी की जाती थी जिसके लिए गांव-गांव में जाकर के पास लकड़ी आदि की व्यवस्था की जाती थी और पंडालों को भव्य रूप दिया जाता था लेकिन आज जगह की कमी और समय की बचत के लिए मात्र दो या तीन दिन में पंडाल बन जाते हैं सामग्री के दाम बढऩे से मूर्तियों के दाम बढ़ेबंगाल से आए कारीगर ने बताया कि मूर्तियों को बनाने के लिए दो-तीन महीने पहले से मिट्टी बस आदि की व्यवस्था की जाती है इनमें होने वाले सामग्री जैसे तट बस कच्चा पेंट कपड़ा साथ सजा डी के दाम बढ़ जाने से मूर्तियों के दाम भी बढ़ाना पड़ रहा है जो मूर्तियां 3 हजार में मिलती है वह अब 7 से 8 रुपए में मिलती हैबंगाल के कारिगर 8 महीने रह करके मूर्तियों का करते हैं निर्माणरानी की सराय में कस्बे में लगभग एक दर्जन से अधिक मूर्तियां बनाने का कारखाना है लोग वर्ष में 8 महीने बंगाल से आकर के इन कारखानों में बांस और बल्ली के सहारे मंडई बनाते हैं जिसमें तिरपाल रखकर की मूर्तियों का निर्माण करते हैं
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