(इंदौर) जब दलबदल में ली गई डाकुओं की मदद

  • 30-Oct-23 12:00 AM

इंदौर,30 अक्टूबर (आरएनएस)। वर्ष 1967 एक बड़े दलबदल का दौर था। पहली बार प्रदेश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 36 विधायकों को तोड़कर संयुक्त सरकार बनाई थी। तब दलबदलु विधायकों को दिल्ली के एक होटल में ठहराया गया। इस दौरान 15 प्रतिशत विधायकों ने दल बदला था। राजमाता विजयाराजे सिंधिया करैरा से विधायक थींऔर तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्रा के खिलाफ वह राजनीतक लड़ाई लड़ रही थीं। उस समय कांग्रेस सरकार गिराने के लिए संयुक्त विधायक दल बनाया। जिसमें जनसंघ, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और कांगेे्रस के दलबदलू विधायक शामिल थे। सरकार गिराने के लिए विधयकों को मुंह मांगी रकम दी गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव राजेंद्र प्रसाद शुक्ल ने सरकार गिराने के घटनाक्रम पर लिखा है कि उस दौरान सदन का बजट सत्र चल रहा था। बजट पर चर्चा के बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने मांगों को लेकर भाषण दिया और जब मतदान होना था तो पता चला कि 36 विधायक अनुपस्थित थे। तब सरकार गिराने में मदद कर रहे विधायकों को जहां ठहराया जाता था जहां भेजा जाता, वहां उनकी सुरक्षा राजमाता की विशेष फोर्स करती। इस दौरान विधायक प्रभुदयाल गेहलोत रहस्यमय ढंग से गायब हो गए। इसके बाद सुरक्षा के लिए दस्यु भी बुलाए गए थे। अनिल पुरोहित




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