(उत्तरकाशी)गंगा तटों पर साधना केंद्रों का विकास हो: प्रमानंदा

  • 03-Jun-25 12:00 AM

उत्तरकाशी 3 जून (आरएनएस)। नेताला स्थित तपस्यालम आश्रम की स्वामिनी प्रमानंदा ने कहा कि गंगा तटों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को सहेजने के लिए सरकार को गंगा घाटों के निर्माण और गंगा संस्कृति केंद्रों की स्थापना पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मंगलवार को आश्रम में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच स्थित पंच प्रयागों का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक में गंगोत्री घाटी में स्थित पांच प्रयागों गंगा प्रयाग, हरि प्रयाग, सोन प्रयाग, भास्कर प्रयाग और उत्तर प्रयाग का विशेष उल्लेख किया है। ये स्थल गंगा की संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक हैं, जिन्हें गंगा संस्कृति केंद्रों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। स्वामिनी प्रमानंदा ने कहा कि मां गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को भी गंगा में किसी प्रकार का कूड़ा-कचरा न डालने की अपील की जाती है। उन्होंने गंगोत्री से चिन्यालीसौड़ तक बह रही सीवरेज की गंदगी पर चिंता जताते हुए सरकार से इसके ट्रीटमेंट की समुचित व्यवस्था की मांग की। इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष नागेन्द्र चौहान और मीडिया प्रभारी राजेन्द्र गंगाड़ी भी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि 5 जून को गंगा दशहरा पर्व आश्रम में भव्य रूप से मनाया जाएगा। इस अवसर पर गंगा संस्कृति केंद्र का उद्घाटन किया जाएगा। साथ ही बासुकीनाग देवता डोली पूजन, गंगा धारा पूजा, वेद घोष, गंगा स्तुति और रासौ नृत्य जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इसमें सचिव उत्तराखंड श्रीधर बाबू अद्दांकी, डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट सहित अनेक संत-महात्मा और स्थानीय लोग भाग लेंगे।




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