(उमरिया)असत्य पर सत्य का प्रतीक है विजयदशमी:दिलीप पांडे
- 25-Oct-23 12:00 AM
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उमरिया 25 अक्टूबर (आरएनएस)।भाजपा जिला अध्यक्ष दिलीप पांडे ने सभी को विजयदशमी की बधाई देते हुए कहा गया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी और विकराल क्यूं न हो, देर से ही सही पर सत्य की हमेशा जीत होती है। सत्य के रास्ते पर चलने पर कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है। जिस प्रकार भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को सत्य की राह पर चलते हुए 14 वर्ष का वनवास भी काटना पड़ा, लेकिन जीत सत्य की हुई और रामराज स्थापित हुआ।इसी प्रकार सभी को सत्य और अच्छे मार्ग पर चलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। श्री पांडे ने कहा विजयादशमी का त्योहार भी हमें यह बताता है कि असत्य पर सत्य की जीत हमेशा होती है और रावण रूपी बुराई अंतत: जलकर स्वाहा हो ही जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को मनाये जाने वाले दशहरा पर्व को मां भगवती के विजया स्वरूप के कारण विजयादशमी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी इसलिए भी इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है। हिन्दुओं का यह प्रमुख त्योहार असत्य पर सत्य की जीत तथा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की संयोग ऐसे होते हैं जिससे किये जाने वाले काम में विजय निश्चित होती है। भारतीय इतिहास में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जब हिन्दू राजा इस दिन विजय के लिए प्रस्थान किया करते थे। मराठा रत्न शिवाजी ने भी औरंगजेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का रक्षण किया था।*हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है विजयदशमी दिलीप पांडे*श्री पांडे ने कहा कि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार विजयदशमी त्यौहार है,दशहरा असत्य पर सत्य की जीत तथा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व की धूम नवरात्र के शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाती है और इन नौ दिनों में विभिन्न जगहों पर रामलीलाओं का मंचन किया जाता है। दसवें दिन भव्य झाकियों और मेलों के आयोजन के बाद रावण के पुतले का दहन कर बुराई के खात्मे का संदेश दिया जाता है। माना जाता है कि भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। रावण के पुतले के साथ मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले का भी दहन किया जाता है। उत्तर भारत में जहां भव्य मेलों के दौरान रावण का पुलना दहन कर हर्षोल्लास मनाया जाता है वहीं दक्षिण भारत में कुछ जगहों पर रावण की पूजा भी की जाती है।*दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है, श्री पांडे*यह वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं और शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस पर्व का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग की सीमा नहीं रहती और इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। दशहरा पर्व के दिन मान्यता है कि तारा उदय होने के साथ विजयÓ नामक काल होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। भगवान श्रीराम ने इसी विजय काल में लंका पर चढ़ाई करके रावण को परास्त किया था। पुराणों में कहा गया है कि दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
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