(ऋषिकेश)ग्रामीण हुनरमंदों की आजीविका को मिला राष्ट्रीय मंच

  • 09-Oct-25 12:00 AM

ऋषिकेश 9 अक्टूबर (आरएनएस)। मुनिकीरेती में आयोजित सरस आजीविका मेले में विभिन्न राज्यों की कला, संस्कृति और व्यापार का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। मेले में करीब 25 राज्यों से ग्रामीण कारीगर और महिला स्वयं सहायता समूहों ने 237 स्टॉल लगाए हैं। इन स्टॉलों पर हर राज्य की पहचान के रूप में उनके उत्पाद मौजूद हैं, तो उत्तराखंड के बुरांस का जूस और अन्य खाद्य पदार्थों की महक भी लोगों को मेले में खींच रही है। खासकर पर्यटकों को उत्तराखंड के उत्पाद और खाद्य पदार्थ खूब रास आ रहे हैं। राज्य के ग्राम्य विकास विभाग और टिहरी प्रशासन के सहयोग से पूर्णानंद खेल के मैदान में चल रहा मेला सिर्फ खरीदारी और स्थानीय उत्पादों का स्वाद चखने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण हुनरमंदों को आर्थिक रूप से मजबूत होने का मौका दे रहा है। मेले में रंग-बिरंगे स्टॉल, प्रदर्शनी और साज-सज्जा के साथ ही महिलाओं के कौशल और उनकी आत्मनिर्भरता की तस्वीर साफ नजर आ रही है। हिमाचल प्रदेश स्थित कुल्लू से पहुंची ऊषा शर्मा ने बताया कि वह कुल्लू में ही तैयार याक बुल और भेड़ आदि की ऊन से तैयार हस्तनिर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए स्टॉल लगाई हैं। इनमें कुल्लू शॉल, स्वेटर, गर्म पायजामे शामिल हैं। बिहार के नवादा जिले के गोपालगंज गांव से कारीगर संजय कुमार पत्नी संग आए हैं। उनके स्टॉल पर हस्तनिर्मित शूट-सलवार, साड़ी, दुपट्टे और कुर्ते हैं। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग से कारीगर शौकत भी हस्तनिर्मित कपड़ों का सामान स्टॉल लगाकर बिक्री कर रहे हैं। चंबा की महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सीमा भंडारी ने उत्तराखंडी खाद्य उत्पाद बुरांस का जूस, आचार, रोटान और शहद आदि खाद्य पदार्थों का स्टॉल लगाया है।




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