(एमसीबी/) हसदेव नदी किनारे बाढ़ आपदा मॉकड्रिल सम्पन्न

  • 25-Sep-25 12:49 PM

एनडीआरएफ-एसडीआरएफ ने दिखाया अद्भुत रेस्क्यू ऑपरेशन, ग्रामीणों ने सीखी जीवन रक्षक तकनीकें

सुरेश मिनोचा
एमसीबी/  25 सितबंर (आरएनएस )।  संभावित बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आज तहसील नागपुर अंतर्गत हसदेव नदी इंटकवेल तथा ग्राम पंचायत लाई स्थित वन विभाग नर्सरी परिसर में बाढ़ आपदा मॉकड्रिल का सफल आयोजन किया गया। इस अभ्यास का नेतृत्व कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी  डी. राहुल वेंकट के मार्गदर्शन में हुआ।कार्यक्रम में अपर कलेक्टर नम्रता आनंद डोंगरे, एसडीएम  लिंगराज सिदार, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस  एलेक्स टोप्पो तथा तहसीलदार श्रुति धुर्वे सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।रेस्क्यू ऑपरेशन का अद्भुत प्रदर्शनराज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमों ने संयुक्त रूप से बाढ़ की वास्तविक परिस्थितियों में बचाव अभियान का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।अभ्यास की शुरुआत नदी के टापू में फंसे ग्रामीणों को सुरक्षित बाहर निकालने से हुई। इसके बाद तेज बहाव में डूबते व्यक्तियों को सुरक्षित किनारे तक पहुँचाने, पेड़ों की डालियों और पुल पर फंसे लोगों को मोटर बोट एवं रेस्क्यू रस्सियों की मदद से बाहर लाने का अभ्यास किया गया। बाढ़ से ढहे मकानों में दबे लोगों कोनिकालने और सर्पदंश पीडि़तों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराकर अस्पताल तक पहुँचाने की प्रक्रिया का भी जीवंत प्रदर्शन किया गया।आधुनिक उपकरणों का हुआ उपयोगमॉकड्रिल के दौरान मोटर बोट, स्क्यूबा डाइविंग उपकरण, अंडरवॉटर कैमरा, लाइफ जैकेट, लाइफ बॉय, पेलिकन लाइट, सर्च लाइट और फायर ब्रिगेड जैसी आधुनिक संसाधनों का उपयोग किया गया।गोताखोरों ने डूबते हुए व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने की तकनीक प्रदर्शित की। वहीं फायर ब्रिगेड की टीम ने पानी निकासी और भारी मशीनरी से बाधाओं को हटाने का प्रशिक्षण दिया।ग्रामीणों को मिला आत्मविश्वासइस अभ्यास की विशेषता रही कि ग्रामीणों को आपदा की स्थिति में घरों में उपलब्ध सामान्य सामग्रियों से जीवन रक्षक उपाय बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें बताया गया कि टीपा, भगोना, ड्रम को बाँधकर अस्थायी नाव बनाई जा सकती है तथा मटका और ट्यूब से तैरने का सहारा तैयार किया जा सकता है।इससे लोगों में यह विश्वास जगा कि आपदा की घड़ी में केवल सरकारी संसाधन ही नहीं, बल्कि उनकी समझदारी और तत्परता भी जीवन रक्षक सिद्ध हो सकती है।आपदा प्रबंधन की पूरी तैयारियों का परीक्षणमॉकड्रिल के दौरान स्टेजिंग एरिया, इंसिडेंट कमांड पोस्ट (बाढ़ नियंत्रण सूचना कक्ष, गुमशुदगी केंद्र, पुलिस सहायता केंद्र), राहत शिविर (भोजन, चिकित्सा, पेयजल, स्वच्छता, शौचालय, सुरक्षा, एम्बुलेंस) और रिस्पॉन्डर कैम्प (एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, लाइफ गार्ड, पुलिस, मेडिकल टीम) की व्यवस्थाएँ भी परखी गईं।स्थानीय नागरिकों की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को और प्रभावी बना दिया। प्रशासन और बचाव दल ने संयुक्त रूप से यह संदेश दिया कि आपदा की स्थिति में सामूहिक सहयोग, तत्परता और प्रशिक्षण ही सबसे बड़ा हथियार है।इनका रहा विशेष योगदानमॉकड्रिल के सफल संचालन में सतीश उपाध्याय, सुभाष दुबे, मोहर सिंह मराबी, संजय गोंड़, प्रमोद साहू, विनय श्याम, अजय भगत, सतीश मालवीय, संतोष सिंह, शैलेन्द्र सिंह, धनमत सिंह, रमेश सिंह, ज्ञान चंद, शिव चरन, दिलीप, सुचिता, रश्मि किरण मिंज, अमिना एक्का, लेखा प्रजापती, पुष्पा राजवाड़े, दुर्गा सिंह तथा महेश एक्का का सराहनीय योगदान रहा।




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