(कसमार)कुड़मालि नेगाचारि में निहित है कुड़मि की आदिवासियत: तरणि बानुहड़

  • 06-Oct-24 12:00 AM

केबीसीए का एकदिवसीय केंद्रीय सेमिनार का हुआ आयोजन कसमार 6 अक्टूबर (आरएनएस)। कुड़मालि भाखि-चारि आखड़ा (केबीसीए) का त्रैमासिक केंद्रीय कोर कमिटी का सेमिनार रविवार को कसमार प्रखंड के मंजूरा स्थित सपाहीटांड़ मैदान में कुड़मि समाज के हड़कमियां तरणी बानुहड़ की अध्यक्षता में संपन्न हुई। सेमिनार में विभिन्न प्रखंडों से पंहुचे कुड़मि समाज के हड़कमियों ने अपने-अपने गांव घर एवं क्षेत्र में कुड़मालि नेगा-चारी के अनुपालन एवं विस्तार को लेकर समीक्षात्मक प्रतिवेदन दी। वहीं आगे नेगाचारी बढ़ाने की रणनीति एवं आंदोलन पर विचार-विमर्श किया गया। कुड़मि को एसटी सूची में शामिल करने को लेकर कुड़मि समाज के प्रत्येक घरों में नेगाचारि अपनाने का संकल्प लिया गया। वहीं एसटी सूची में शामिल करने को लेकर आंदोलन लगातार जारी रखने का निर्णय लिया। संचालन पंकज हिंदआर ने किया। इस दौरान राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सह गोमिया के पूर्व विधायक योगेंद्र महतो एवं गोमिया विधायक लंबोदर महतो भी शामिल हुए और केबीसीए के आंदोलन को समर्थन करने की बात कही।वहीं कुड़मालि के प्रसिद्ध लोक शिल्पी कवि गोविंद लाल महतो हसतुआर ने सोहराय गीत, चाइचर गीत, लालजी महतो हिंदइआर एवं पारबति हिंदइआर ने टुसू की महत्व बताते हुए गीतों की प्रस्तुति दी। सेमिनार में केबीसीए के महादेव डुंगरिआर, दीपक पुनरिआर, अरविंद सांखुआर, प्रहलाद प्रवीण केसरिया, मूरलीधर जालबानुआर, भागीरथ बंसरिआर, हीरालाल केसरिआर, मिथलेश केटिआर, सहदेव झारखंडी, शैलेश केसरिआर, संजय पुनरिआर, सदानंद गुलिआर, सोनू , सुबाष, बालेश्वर आदि आदि सैकड़ों कुड़मि समाजकमिया शामिल थे।




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