(कांकेर) टेकाठोडा (कच्चे) गांव में पास्टर-पादरी के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध, बोर्ड लगाकर दिया साफ संदेश

  • 13-Oct-25 05:39 AM


कांकेर, 13 अक्टूबर (आरएनएस)। कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर विकासखंड के टेकाठोडा (कच्चे) गांव ने धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। ग्रामवासियों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर गांव में ईसाई धर्म प्रचारकों, जैसे पास्टर, पादरी और मतांतरण कर चुके व्यक्तियों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
इस निर्णय को सार्वजनिक करते हुए, ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा बोर्ड लगा दिया है, जिस पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि किसी भी प्रकार के धर्मांतरण या धार्मिक आयोजन के उद्देश्य से गांव में प्रवेश वर्जित है।
कांकेर जिले का बारहवां गांव
टेकाठोडा (कच्चे) ऐसा कदम उठाने वाला कांकेर जिले का बारहवां गांव बन गया है। इन गांवों ने औपचारिक ग्राम सभा निर्णय लेकर धार्मिक मतांतरण के विरोध में बोर्ड स्थापित किए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यह कदम उनकी संस्कृति और पारंपरिक जीवनशैली की रक्षा के लिए उठाया गया है।
प्रलोभन से मतांतरण का विरोध
ग्रामीणों ने बताया कि हाल के दिनों में गांव के आठ परिवारों ने धर्म परिवर्तन कर लिया है, जिससे गांव की सामाजिक और पारंपरिक संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उनका विरोध किसी धर्म विशेष से नहीं, बल्कि प्रलोभन, लालच या मदद के नाम पर कराए जा रहे मतांतरण के खिलाफ है। ग्राम सभा के निर्णय के तहत, प्रवेश द्वार पर लगाए गए बोर्ड में पेसा अधिनियम 1996 के नियम चार (घ) का हवाला दिया गया है, जो उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण का अधिकार देता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह निर्णय संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासी क्षेत्रों को प्राप्त स्वशासन और सांस्कृतिक सुरक्षा की भावना के अनुरूप है।
यह पहल अब जिले भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। एक ओर जहां समाज का एक बड़ा वर्ग इसे आदिवासी संस्कृति की रक्षा और स्वाभिमान का कदम मान रहा है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस पर संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ताकि क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द बना रहे।
बंछोर
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