
(कांकेर) सिंदूर खेल सुहागिन महिलाओं ने दुर्गा मां को दी विदाई
- 03-Oct-25 01:41 AM
- 0
- 0
0 जमकर किया धुनुची डांस
0 बंगाली समाज ने मनाया सिंदूर उत्सव
कांकेर, 03 अक्टूबर (आरएनएस)। पूरे परलकोट क्षेत्र में बंगाली समाज की ओर से विजयदशमी का पर्व मनाया गया। इस दौरान सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर बोरोन की परंपरा निभाई। पांच दिनों तक दुर्गा मां की आराधना करने के बाद विजयादशमी को कापसी में बंगाली समाज की सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर बोरोन की परंपरा निभाई। गुरुवार को मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित करने से पहले बंगाली समाज ने सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव मनाया। महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर दुर्गा माता से परिवार की सुख, समृद्धि और पति की लंबी उम्र की कामना की। सभी सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा को पान के पत्ते से सिंदूर चढ़ाया। साथ ही मां दुर्गा को पान और मिठाई भी खिलाई। इसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर जश्न मनाया और विजयदशमी की शुभकामनाएं दीं। इस दौरान महिलाओं ने जमकर पारंपरिक डांस किया। माना जाता है कि जब मां दुर्गा मायके से विदा होती हैं, तो सिंदूर से उनकी मांग भरी जाती है। इसके साथ ही कई महिलाएं एक दूसरे के चेहरे पर सिंदूर लगाते हुए नजर आई। यह उत्सव होली के पर्व जैसा लगा। इसके ज़रिए महिलाएं कामना करती हैं कि एक-दूसरे की शादीशुदा जिंदगी सुखद और सौभाग्यशाली रहे।
विशेष डांस धुनुची का आयोजन
दुर्गा उत्सव के दौरान एक विशेष तरह का डांस किया जाता है, जिसे धुनुची डांस का कहा जाता है। इस डांस में एक विशेष तरह के मिट्टी के पात्र में सूखे नारियल के छिलकों को जलाकर माता की आरती की जाती है। आरती के वक्त इस धुनुची डांस में कई तरह के करतब भी दिखाए जाते हैं। वैसे तो पांचों दिन यह डांस किया जाता है लेकिन आखरी दिन खासतौर पर किया जाता है।
ढाक-ढोल और आरती
दशमी के दिन माता की विदाई के समय धुनुची डांस के दौरान ढाक-ढोल बजाया जाता है। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। ढाक ढोल की ताल पर भक्त नाचते और झूमते रहते हैं और मां को दोबारा आने का न्योता देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्य करने के लिए पान और मीठे के भोग से मां को विदाई दी जाती है और अगले वर्ष जल्दी आने का न्योता दिया जाता है। मां को बताशे का भोग लगाया जाता है। यह वहां की परंपरा है।
0
Related Articles
Comments
- No Comments...