
(कुम्हारी) कुम्हारी के मां महामाया मंदिर प्रांगण में रावण दहन कर मनाया गया विजयदशमी पर्व
- 04-Oct-25 01:40 AM
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कुम्हारी, 04 अक्टूबर (आरएनएस)। विजयदशमी का पर्व इस बार कुम्हारी में भव्यता के साथ मनाया गया। यह पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के द्वारा अहंकारी रावण का वध कर लंका पर विजय पाने और असत्य पर सत्य की जीत, बुराई और अन्याय के समाप्ति का प्रतीक है। गुरुवार को मां महामाया मंदिर प्रांगण के दशहरा मैदान में 30 फिट ऊँचे रावण का दहन कर विजयदशमी का पर्व बड़े उत्साह के साथ आयोजित किया गया। इस आयोजन का संचालन इस बार मां महामाया मंदिर ट्रस्ट समिति के तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम में न केवल नगर के लोग बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे। दर्शकों ने रामलीला मंचन के माध्यम से राम और रावण के मध्य युद्ध एवं रामचरित मानस के संवादों का अनुसरण किया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 30 फिट ऊंचे रावण का दहन था। रावण के वध का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत होने पर दर्शकों ने 'जय श्रीरामÓ के जयकारे लगाए। इसके साथ ही आकर्षक आतिशबाजी ने पूरे दशहरा मैदान को रंगीन और उत्सवपूर्ण माहौल प्रदान किया। नगर की प्रतिष्ठित रामलीला समिति ने मंच पर रामलीला का भव्य मंचन किया। मंचन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्वारा रावण वध का अत्यंत प्रभावशाली दृश्य पेश किया गया। कलाकारों ने अपनी वेशभूषा, अभिनय और संवादों के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया। दर्शक राम और रावण के संघर्ष को देखकर रोमांचित हुए और राम के विजय प्राप्ति के दृश्य पर उत्साह के साथ जयकारा लगाया। मां महामाया मंदिर प्रांगण में ट्रस्ट कमेटी के सदस्य और नगर के वरिष्ठ नागरिक भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर नारायण वर्मा, अशोक दीवान, रामाधार शर्मा, मनोज वर्मा और राधेलाल यादव सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। रामलीला समिति के रामसिंग पाल और रोमनाथ साहू ने भी मंचन में सक्रिय भूमिका निभाई। दर्शकों में स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ आस-पास के ग्रामीण अंचल के लोग भी शामिल हुए। उन्होंने रावण दहन और आतिशबाजी का आनंद लिया। कार्यक्रम के दौरान बच्चों और युवाओं में उत्साह और आनंद देखने लायक था। कई दर्शकों ने अपने मोबाइल कैमरों से उत्सव के पल कैद किए। कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल धर्मिक परंपरा को जीवित रखना था बल्कि समाज में सत्य और धर्म की विजय का संदेश भी देना था। आयोजकों ने बताया कि रामलीला और रावण दहन कार्यक्रम समाज में नैतिक मूल्यों और बुराई पर विजय की भावना को प्रोत्साहित करता है। समिति के सदस्यों ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन आने वाले वर्षों में भी नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे ताकि सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक परंपराओं को जीवित रखा जा सके। उन्होंने दर्शकों से आग्रह किया कि वे भी त्योहारों के दौरान सामाजिक और धार्मिक मर्यादाओं का पालन करें और इस प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेकर संस्कृति और धार्मिक चेतना को बनाए रखें। इस आयोजन ने न केवल नगरवासियों और ग्रामीणों को एक साथ मिलकर उत्सव मनाने का अवसर दिया, बल्कि बच्चों और युवाओं में रामायण और रामलीला के प्रति रुचि भी बढ़ाई। रावण दहन और रामलीला के माध्यम से समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत, धर्म और नैतिकता का संदेश प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया।
त्रिपाठी
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