(कुशीनगर)रेलवे के जिम्मेदारों की अवैध टिकट के कारोबारियों पर नहीं पड़ रही नजर

  • 01-Nov-23 12:00 AM

-शहर से लेकर गांव तक ट्रेवल एजेंसी का बोर्ड लगाकर बेखौफ बना रहे टिकटकुशीनगर 1 नवंबर (आरएनएस)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में दशहरा के बाद अब दीपावली, छठ पर्व को लेकर महानगरों में रहने वाले लोगों का घर आना मुश्किल हो गया है। ट्रेनों में सीटें फुल हो गई हैं। सफर के लिए ट्रेनों में मारामारी है। लेकिन दलालों की चांदी हैं। टिकट बुक करने के लिए रेलवे की अधिकृत एप आईआरसीटीसी पर सामान्य व्यक्ति के लिए टिकट उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। लेकिन टिकट के धंधेबाज सॉफ्टवेयर की मदद से एप को हैक कर तय सीमा से कम में ही कई टिकट बुक कर दे रहे हैं।रेलवे प्रशासन के तमाम कोशिशों के बावजूद तत्काल कोटे के टिकट में दलालों की सेंधमारी रुक नहीं रही है और टिकट काउंटर से लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। जिले के कप्तानगंज रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर पर कतार में लोगों की भीड़ तत्काल टिकट बुक करने के लिए लग रही है। मंगलवार को आधी रात से ही लोग कतार में लगे थे। लेकिन सिर्फ चार लोगों को तत्काल टिकट मिल सका। इसके बाद सर्वर डाउन होने की बात कह कर टिकट काउंटर से बुकिंग क्लर्क ने लोगों को लौटा दिया। वहीं पडरौना रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर से सिर्फ दो लोगों को तत्काल टिकट मिला। बाकी लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा। नाराज लोगों ने टिकट काउंटर पर मौजूद बुकिंग क्लर्क पर दलालोंं से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए खरी-खोटी भी सुनाई। तमकुहीरोड रेलवे स्टेशन पर एक भी लोगों को तत्काल टिकट नहीं मिला। वहीं रेलवे काउंटर पर मौजूद क्लर्कों का कहना है कि एसी तत्काल टिकट के लिए दिन में 10 बजे वेबसाइट खुलता है। एक से दो टिकट बनाने के बाद सर्वर डाउन हो जाता है। जबकि बाजार में खोले गए ट्रेवल्स वालों के यहां दोगुने, तीन गुने रेट पर आसानी से रेलवे का तत्काल टिकट उपलब्ध हो जा रहा है।रेलकर्मियों की मिलीभगत से बाजार में अवैध तरीके से ट्रेवल्स एजेंसी खोलकर तत्काल टिकट के नाम पर लोगों को लूटा जा रहा है। रेलवे काउंटर से टिकट नहीं मिलने और जरूरी कार्यों से जाने के चक्कर में दलालों से तत्काल टिकट के लिए संपर्क करना मजबूरी बन गया है।दिल्ली से गोरखपुर तक तत्काल में स्लीपर का साधारण किराया 500 से 600 तक है। जबकि दलाल इसी टिकट के 1300 रुपये लेते हैं। एसी-थर्ड टियर का किराया अधिकांश 1300 तक है लेकिन 2200-2300 में इसका टिकट दलाल बेच रहे हैं। साइबर कैफे की आड़ में अवैध टिकट का कारोबार फलफूल रहा है। रेलवे स्टेशन से जुड़े क्षेत्र के अतिरिक्त ग्रामीण चौराहों पर भी दलाल तो अपनी जेब भर रहे हैं लेकिन रेलवे सहित मजदूरों और विद्यार्थियों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।पिछले एक साल में हुई गिरफ्तारी के बाद हुए खुलासे में देखे तो यह बात सामने आई है कि टिकट धंधेबाज कई ऐसे अवैध सॉफ्टवेयर की मदद लेते हैंए जिसमें वह आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक कर लेते हैं। तेज रफ्तार सॉफ्टवेयर से अधिकतम 10 सेकेंड में ही टिकट बुक हो जाते हैं। जबकि आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर से टिकट बुक कराने में कम से कम दो से तीन मिनट का समय लग जाता है। रेलवे में एसी कैटेगरी की ट्रेनों के लिए तत्काल बुकिंग सुबह 10 बजे से शुरू होती हैए वहीं स्लीपर क्लास के लिए तत्काल ट्रेन बुकिंग सुबह 11 बजे से शुरू होती है। शातिर दलाल कंप्यूटर पर पहले से ही यात्री विवरण फीड कर लेते हैं और जैसे ही विंडो खुलती है, वह इंटर मारकर तत्काल कोटे की टिकट पर कब्जा कर लेते हैं और सामान्य लोग टिकट से वंचित रह जाते हैं।




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