
(कोरबा) अंतर्जातीय दहेज-मुक्त विवाह संपन्न
- 22-Sep-25 12:00 AM
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० संत रामपाल महाराज के सानिध्य में हुआ आध्यात्मिक सत्संग एवं सामाजिक पहल का आयोजनकोरबा 22 सितंबर (आरएनएस )। समाज में फैली दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ एक सकारात्मक संदेश देते हुए नगर पंचायत करतला के सामुदायिक भवन में संत रामपाल महाराज के सानिध्य में जिला स्तरीय आध्यात्मिक सत्संग एवं एक जोड़ी अंतर्जातीय दहेज-मुक्त विवाह का आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे और इस अनूठी पहल को सराहनीय करार दिया।Ó एकता और सादगी का उदाहरणइस विवाह में कोरबा जिले की भक्तमती दामिनी महंत ग्राम चचिया और महासमुंद जिले के भक्त देवेंद्र चैहान ग्राम छिलपावन ने सात जन्मों का बंधन स्वीकार किया। वर-वधू के माता-पिता व रिश्तेदारों की उपस्थिति में यह आयोजन सादगीपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। दहेज रहित इस विवाह को देखकर उपस्थित लोगों ने इसे समाज के लिए प्रेरणा बताया।Ó कबीर गुरुवाणी रमैणीÓ पद्धति में संपन्न हुआ विवाहसंत रामपाल महाराज के अनुयायियों द्वारा विवाह रमैणीÓ पद्धति से संपन्न कराया गया। यह शास्त्र-आधारित पद्धति है जिसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान कर मात्र 17 मिनट में विवाह संपन्न हो जाता है। इस विधि में न तो फिजूल खर्च होता है और न ही कोई आडंबर।दहेज-मुक्त विवाह की विशेषता अंतर्गत दहेज का लेन-देन नहीं होने से गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ समाप्त होता है। सादगीपूर्ण समारोह में बिना दिखावे और आडंबर के कार्यक्रम संपन्न। शास्त्रीय परंपरा पर आधारि अंतर्गत विवाह को धार्मिक एवं सामाजिक आधार प्राप्त। कुरीतियों का अंत के तहत दहेज प्रथा मिटाने का सशक्त संदेश। नई पीढ़ी के लिए मिसाल युवाओं को समानता और सादगी अपनाने की प्रेरणा आदि हैं।इस अवसर पर जगतदास महंत, अजय कुर्रे, धरमदास, सुमरन सिंह कंवर, इतवारी साहू, दिलीप बारेठ, बाबू दास, पंचराम पाटिल, उमाशंकर, शिवनारायण जगत, संतोष एडवोकेट, विनोद, गया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।विवाह समारोह के दौरान उपस्थित लोगों ने कहा कि दहेज प्रथा समाज में विभाजन और आर्थिक असमानता को बढ़ावा देती है। ऐसे आयोजन समाज को नई दिशा देने वाले हैं। संत रामपाल महाराज की यह पहल निश्चित रूप से दहेज जैसी कुरीतियों के उन्मूलन में मील का पत्थर साबित होगी। यह आयोजन न केवल दो परिवारों का मिलन रहा, बल्कि पूरे समाज के लिए एक मजबूत संदेश भी बना कि सादगी और दहेज-मुक्त विवाह ही समय की सच्ची आवश्यकता है।
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