(कोरबा) जनजातीय समाज का स्वतंत्रता संग्राम में था महत्वपूर्ण योगदान - बोधराम कंवर

  • 20-Oct-24 02:47 AM

कोरबा, 20 अक्टूबर (आरएनएस)। शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदीबाजार में जनजातीय गौरव माह के अंतर्गत जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत, ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं समृद्धि तथा राष्ट्रीय गौरव, वीरता तथा आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में जनजातीय समुदायों के प्रयासों की सराहना करने के लिए उच्च शिक्षा संचालनालय, नवा रायपुर से प्राप्त निर्देशानुसार शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय, हरदीबाजार में जनजातीय गौरव माह के अंतर्गत जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत, ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शिखा शर्मा के संरक्षण एवं मार्गदर्शन तथा कार्यक्रम के संयोजक महाविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. एस. कृष्णमूर्ति एवं सह-संयोजिका महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष अंजली के कुशल नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के संस्थापक एवं कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक बोधराम कंवर बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रहे। माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं भारत माता, भगवान बिरसा मुण्डा, शहीद वीर नारायण सिंह एवं वीरांगना रानी दुर्गावती के चित्रों पर माल्यार्पण तथा श्रद्धासुमन अर्पित कर आरंभ हुए इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त विभागाध्यक्षों, सहायक प्राध्यापकों, ग्रंथपाल, अतिथि व्याख्याताओं, शैक्षिकेत्तर कर्मचारियों तथा महाविद्यालय के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढकर हिस्सा लिया। कंवर ने अपने संबोधन में अपने जीवन के निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि भारत की जनजातीय संस्कृति हमारे देश की विविधता का एक महत्वपूर्ण अंग है। जनजातीय समाज ने सदियों से अपनी विशिष्ट परंपराओं, रीति-रिवाजो अद्वितीय जीवनशैली को बनाए रखा है। उनके संघर्ष और आत्मनिर्भरता की भावना ने न केवल उनके समाज को समृद्ध किया है, बल्कि पूरे राष्ट्र को सशक्त बनाया है। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की लड़ाई, देश के जनजातीय समुदायों ने सर्वदा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारे समस्त जनजातीय नायकों का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें सामाजिक न्याय, साहस, और आत्मसम्मान की प्रेरणा देती हैं।
उनका योगदान केवल आदिवासी समाज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए अमूल्य है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राज्य युवा आयोग के पूर्व सदस्य रघुराज सिंह उइके ने अपने उद्बोधन में कहा कि जनजातीय गौरव दिवस का उद्देश्य केवल हमारे इतिहास के महान योद्धाओं को याद करना ही नहीं है, बल्कि उनके विचारों को आगे बढ़ाना और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना भी है। आज जब हम इस गौरवशाली दिन को मना रहे हैं, तो हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जनजातीय समाज को समर्पित सभी योजनाओं और प्रयासों का लाभ उन्हें पूरी तरह से मिले, ताकि वे शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक प्रगति के क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकें। आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में जनजातीय समाज शिक्षित और सतत् समृद्ध अवश्य हो रहा है, लेकिन इसी गति से वह अपने जड़ों से दूर भी होता जा रहा है। हरदीबाजार इसका जीवंत उदाहरण है। इस क्षेत्र ने एशिया का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र होने का गौरव अवश्य प्राप्त कर लिया परंतु इस उपलब्धि ने हमारी जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को हमसे दूर कर दिया है। हमसे हमारी प्रकृति, हमारे आराधना स्थल, हमारे पूर्वजों की समाधियां आदि, यहां तक की बड़ी, बिजौरी जो केवल खाद्य पदार्थ मात्र नहीं है, बल्कि बहु-बेटियों के साथ जाने वाले आत्मीय भाव भी है, खनन प्रक्रिया की भेंट चढ़ गए हैं। गांव-गांव, गली-गली में प्रवेश कर चुके विदेशी विचारधारा के प्रचारक लगातार हमको अपनी संस्कृति और परंपराओं से पृथक करने के षड्यंत्र में लगे हुए हैं। इसलिए समस्त जनजातीय समाज को समस्त झंझावातों के बीच अपनी जड़ों से जुडकर भारतवर्ष के विकास में सर्व समाज के साथ मिलकर योगदान देना है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में किसान मोर्चे के जिलाध्यक्ष छोटेलाल उपस्थित रहे। जिन्होंने गौरवशाली इतिहास के धनी इस भेदभाव रहित, प्रकृति के उपासक समाज के प्रेम, भाईचारे और एकजुटता के संदेश को सभी को अपनाने की अपील करी।
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