(कोरबा) एडवोकेट पर यौन शोषण का आरोप, हाईकोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराने के आदेश पर लगाई मुहर

  • 13-Jul-25 12:00 AM

कोरबा 13 जुलाई। जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता श्यामल मल्लिक पर उनकी जूनियर महिला वकील ने शारीरिक शोषण का गंभीर आरोप लगाया है। महिला ने दावा किया कि उसकी 7 साल की बेटी श्यामल मल्लिक की ही संतान है। बेटी को पिता का अधिकार दिलाने के लिए महिला ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर डीएनए टेस्ट की मांग की थी।फैमिली कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2024 को महिला की अर्जी मंजूर कर आदेश पारित किया था कि बच्ची और अधिवक्ता का डीएनए परीक्षण कराया जाए। इस आदेश को चुनौती देते हुए श्यामल मल्लिक ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।क्या है मामला?37 वर्षीय महिला एडवोकेट ने आरोप लगाया कि जब वह जूनियर के तौर पर श्यामल मल्लिक के अधीन काम करती थी, तब अधिवक्ता ने उसका यौन शोषण किया। इससे उसके गर्भ में बच्ची का जन्म हुआ। महिला का कहना है कि बेटी को उसके जैविक पिता का हक मिलना चाहिए।हाईकोर्ट ने क्या कहा?याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि फैमिली कोर्ट को डीएनए टेस्ट का आदेश देने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही ब्लड सैंपल देने की सहमति दे चुका था और 4 जुलाई 2024 को सैंपल लिया भी गया। कोर्ट ने पाया कि अधिवक्ता ने तथ्यों को छिपाते हुए दोबारा नई याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का अधिकार क्षेत्र पहले ही निर्धारित हो चुका है और कोई नया आधार पेश नहीं किया गया।सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवालाहाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इवान रथिनम बनाम भारत संघ फैसले का हवाला देते हुए कहा कि क्छ। टेस्ट का आदेश देने से पहले पक्षों के हितों और साक्ष्यों की पर्याप्तता का मूल्यांकन जरूरी होता है। चूंकि यहां साक्ष्य अपर्याप्त थे, इसलिए फैमिली कोर्ट ने परीक्षण की अनुमति दी।महत्वपूर्ण तथ्य छिपाने का आरोपकोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने सैंपल देने के बाद कई अहम तथ्य दबा दिए और एकतरफा जानकारी देकर याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने सीनियर अधिवक्ता की दोनों याचिकाओं को खारिज कर अंतरिम राहत भी समाप्त कर दी।




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