(कोलकाता)सर्वदलीय बैठक में बूथ पुनर्गठन का स्वागत करते हुए टीएमसी ने आयोग पर लगाया पक्षपात का आरोप

  • 30-Aug-25 12:00 AM

कोलकाता,30 अगस्त (आरएनएस)। पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की ओर से बूथों की नई व्यवस्था को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। राज्य में बूथों की संख्या करीब 14 हजार बढ़ाई जा रही है। अब तक जहां 80 हजार से थोड़े ज्यादा बूथ थे, वहीं यह संख्या बढ़कर करीब 94 हजार हो जाएगी। हर बूथ पर अब 1500 की बजाय 1200 वोटर होंगे। आज कोलकाता में मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में टीएमसी ने इस फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन कई गंभीर सवाल भी उठाए और असंतोष भी व्यक्त किया। राज्य के मंत्री अरूप विश्वास ने कहा कि, अतिरिक्त बूथ उसी पोलिंग स्टेशन के भीतर हों, ताकि वोटर को दो किलोमीटर दूर न जाना पड़े। अगर रेफरी निष्पक्ष नहीं होगा, तो खेल कैसे निष्पक्ष होगा? साथ ही टीएमसी के राज्य मंत्री अरूप विश्वास और सांसद पार्थ भौमिक ने आरोप लगाया कि आयोग विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिए बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट से नाम हटाने की कोशिश कर रहा है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल ने बताया कि मतदान प्रवृत्ति में बदलाव को ध्यान में रखते हुए, राज्य में लगभग 14,000 नए बूथों की व्यवस्था की जा रही है। पहले 80,681 बूथ थे। बूथों के पुनर्गठन के बाद 13,816 बूथ बढ़ गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, राज्य में बूथों की संख्या 94,497 हो जाएगी। उन्होंने राजनीतिक दलों को लिखित शिकायतें 8 सितंबर तक सौंपने का आह्वान किया है, जिससे शिकायतों की जांच के बाद कार्रवाई की जा सके। साथ ही, सीईओ ने जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को घटित होने वाली आपत्तियों के समाधान हेतु जिला-स्तरीय बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया। मंत्री अरूप विश्वास ने एसआईआर को लेकर चिंता जताते हुए कहा, "निर्वाचन आयोग निष्पक्ष रूप से काम करे। अगर रेफरी ही ठीक नहीं है तो किसी को संतोष कैसे होगा? मतदान अधिकार को छीनने की कोशिश हो रही है। यह बैठक हमें संतुष्ट नहीं कर पाई। हम अपनी बात जाहिर कर चुके हैं।" टीएमसी नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि बैठक में एसआईआर पर कोई एजेंडा नहीं रखा गया था, और उनका स्पष्ट मत है, "पश्चिम बंगाल में एसआईआर नहीं होगा, एसआईआर के नाम पर किसी को लाभ नहीं मिलना चाहिए।"बैठक के दौरान भाजपा प्रतिनिधियों और टीएमसी नेताओं के बीच बूथ लेआउट और अन्य मुद्दों पर वाद-विवाद की भी झलक देखने को मिली। भाजपा नेता शिशिर बजोरिया ने कहा, "24 जिलों के डीईओ का जवाब एक जैसा है। कोई शिकायत नहीं मिली। यह कैसे संभव है? सभी 24 डीईओ जिम्मेदार ठहराए जाएं।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) की नियुक्तियां टीएमसी कार्यालय से की गई हैं। बैठक के बाद आशुतोष चटर्जी ने कहा, "यह बैठक अधूरी रही। यह कैसे संभव है कि बूथ व्यवस्था पर जिले से कोई शिकायत नहीं आई? कुछ डीईओ टीएमसी के निर्देश पर काम कर रहे हैं।" बहरहाल जो भी हो, इससे पहले 28 अगस्त को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे किसी को भी लोगों का मताधिकार नहीं छीनने देंगी। भाजपा बंगालियों पर भाषायी आतंक फैला रही है। बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा ने वोटर लिस्ट से मतदाताओं के नाम हटाने के मकसद से करवाए जा रहे सर्वे के लिए दूसरे राज्यों से 500 से ज्यादा टीमें बंगाल में भेजी हैं। ममता ने कहा- लेकिन जब तक मैं जिंदा हूं, किसी को भी मताधिकार नहीं छीनने दूंगी। आप खुद जांच करें कि आपका नाम अभी भी लिस्ट में है या नहीं।




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