(कोलकाता)हाईकोर्ट ने दुर्गा पूजा अनुदानों के रिकॉर्ड के विवरण मांगे
- 25-Aug-25 12:00 AM
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बंगाल सरकार को 48 घंटे में जमा करना होगा हलफनामाकोलकाता 25 अगस्त (आरएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आज पश्चिम बंगाल सरकार को दुर्गा पूजा अनुदानों के रिकॉर्ड का विवरण को लेकर 48 घंटे के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने उन दुर्गा पूजा समितियों के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है, जिन्होंने पिछले वर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद खर्च (यूटिलाइजेशन) प्रमाणपत्र जमा नहीं किया। न्यायमूर्ति सुजॉय पाल की पीठ ने जानकारी मांगी कि पिछले वर्ष तक कितने क्लबों ने प्राप्त अनुदानों का व्यय लेखा-जोखा प्रस्तुत किया और ऐसा न करने वालों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई। सुनवाई के दौरान, राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि न्यायालय ने अनुदान वितरण पर कोई आपत्ति नहीं जताई है और सुझाव दिया कि मामले की सुनवाई त्योहार के बाद की जाए। न्यायमूर्ति सुजॉय पाल ने असहमति जताते हुए कहा कि यदि रिकॉर्ड पहले से प्रस्तुत नहीं किए गए तो पूजा के बाद मामला अप्रासंगिक हो जाएगा। न्यायालय ने कहा कि कई क्लबों ने बार-बार निर्देशों के बावजूद उचित लेखा-जोखा दाखिल नहीं किया है।अदालत के समक्ष दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि कई क्लबों ने पिछले वर्षों में उपयोग प्रमाण पत्र प्रदान किए बिना अनुदान प्राप्त किया था। पीठ ने राज्य को अनुदान वितरण, क्लबों से व्यय रिपोर्ट और चूककर्ताओं के खिलाफ उठाए गए कदमों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को निर्धारित की गई है। राज्य सरकार ने 2019 में प्रति क्लबों को दुर्गा पूजा अनुदान शुरू किया था। कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में यह राशि बढ़ाकर 50,000 कर दी गई और इस वर्ष इसे और बढ़ाकर 1,10,000 कर दिया गया। दुर्गापुर निवासी सौरव दत्ता ने पहले धर्मनिरपेक्षता के आधार पर इस योजना को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। इसी मामले से संबंधित नए आवेदन अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जा रहे हैं। दत्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश रंजन भट्टाचार्य और शमीम अहमद ने दलील दी कि करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में उपयोग किए जाने वाले धन को सरकार पूजा समितियों को बांट रही है। हालांकि, राज्य सरकार ने इसका बचाव करते हुए कहा कि यह अनुदान जनकल्याणकारीÓ है और सेफ ड्राइव, सेव लाइफ अभियान व कोविड-19 प्रतिबंधों जैसी पहलों में इसका उपयोग किया गया था।गौरतलब है कि यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस वर्ष राज्यभर की करीब 40 हजार पूजा समितियों को 1.1 लाख रुपये का मानदेय देने की घोषणा की है। इसके लिए 450 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है। पिछले साल समितियों को 85 हजार रुपये दिए गए थे और ममता ने 2025 में इसे एक लाख तक बढ़ाने का वादा किया था। लेकिन इस बार उन्होंने वादा से भी आगे बढ़ते हुए अतिरिक्त 10 हजार रुपये जोड़ दिए।
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