
(कोलकाता) चुनाव आयोग को चेतावनी, आयोग ने मांगी सीएम ममता के प्रेस कॉन्फ्रेन्स की वीडियो क्लिपिंग
- 11-Oct-25 03:22 AM
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कोलकाता, 11 अक्टूबर (आरएनएस)। चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मुख्य सचिव की मौजूदगी में हाल ही में दिए गए विवादास्पद बयान पर कड़ी नाराजगी जताई है। आयोग ने सवाल उठाया है कि जब मुख्यमंत्री ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील बयान दिया, यह तब हुआ जब एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी वहां मौजूद थे। अपने पत्र में, आयोग ने लोकपाल अधिनियम का हवाला देते हुए याद दिलाया कि बिना हलफनामे के किसी सरकारी अधिकारी पर आरोप लगाना अनुचित है और झूठा साबित होने पर दंडनीय है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत से स्पष्ट स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या घटना के दौरान प्रशासनिक शिष्टाचार को बनाए रखा गया था। आयोग सूत्रों के अनुसार, आयोग ने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस की वीडियो क्लिपिंग मांगी है जिसमें मुख्यमंत्री ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ पश्चिम बंगाल) मनोज अग्रवाल को सीधे तौर पर चेतावनी दी थी। साथ ही, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से उस बयान का अनुवाद भी मांगा गया है।
यह घटना गुरुवार को हुई। एक सरकारी समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा, अगर मुख्य निर्वाचन अधिकारी अपनी सीमा से बाहर जाकर कुछ भी करते हैं, तो मैं उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का पर्दाफाश कर दूंगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी अधिकारियों को धमका रहे हैं। बैठक में राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत और मंत्री अरूप बिस्वास भी मौजूद थे। 2011 में सत्ता में आने के बाद से यह पहली बार है जब मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने किसी मुख्य निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ इतनी कड़ी शिकायत की है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, चूंकि शिकायत सीधे मुख्य निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ है, इसलिए आयोग इस मामले की गंभीरता से जांच कर रहा है। शिकायत के साक्ष्य सहित सभी जानकारी लोकपाल को दी जानी चाहिए। आयोग ने शुक्रवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी की टिप्पणी का वीडियो और उसका अंग्रेजी अनुवाद माँगा था। सीईओ कार्यालय को एक दिन के भीतर क्लिप भेजने का निर्देश दिया गया है।
हालांकि, मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल ने कहा कि आयोग की एक अलग टीम है जो इस पर नजऱ रखती है कि किसने क्या कहा और क्या किया। इसलिए सीईओ कार्यालय से अलग से कोई जानकारी भेजने की ज़रूरत नहीं है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि दिल्ली चुनाव आयोग ने शनिवार को ही वीडियो भेज दिया है। इस संबंध में जब सीईओ मनोज अग्रवाल से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। दरअसल, ममता की चेतावनी के 24 घंटे के भीतर ही भाजपा ने आयोग को एक पत्र लिखा। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर की मांग की। पत्र में भाजपा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की ऐसी टिप्पणी लोकतंत्र की नींव हिला सकती है। पत्र में लिखा है, जब किसी राज्य का मुख्यमंत्री खुद सार्वजनिक रूप से चुनाव अधिकारी को धमकाता है, तो प्रशासनिक स्तर पर यह स्पष्ट संदेश जाता है कि संविधान नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल के प्रति निष्ठा सर्वोपरि है। यह सिफऱ् एक राजनीतिक भाषण नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को नष्ट करने का प्रयास है। भाजपा ने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री सोमवार तक सीईओ के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराती हैं, तो वे चुनाव आयोग कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना देंगे। हालांकि, तृणमूल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सिफऱ् चेतावनी दी है, धमकी नहीं। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, भाजपा राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। मुख्यमंत्री ने सिफऱ् इतना कहा है कि अगर कोई अपनी सीमा से बाहर जाकर काम करेगा तो वह चुप नहीं रहेंगे। राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले ही, मुख्यमंत्री के बयान और आयोग के हस्तक्षेप ने राजनीतिक सरगर्मी कई गुना बढ़ा दी है। एक तरफ़ मुख्यमंत्री और प्रशासन, तो दूसरी तरफ़ चुनाव आयोग और भाजपा के बीच का तनाव अब राज्य की राजनीति का केंद्र बन गया है।
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