(खंडवा) चिटनीस और शेहरा में इस बार भी नजदीकी मुकाबला

  • 30-Oct-23 12:00 AM

खंडवा,30 अक्टूबर (आरएनएस)। वे चौथी बार बुरहानपुर से मैदान में हैं। इलाके में पार्टी की बड़ी नेता हैं। पिछली बार निर्दलीय से मात खा गई थीं। इस दफे यही निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सामने है। चुनौती तगड़ी है। भाजपा को पार्टी के दिवंगत नेता स्व. नंदकुमारसिंह चौहान के बेटे की बगावत का भी डर है। इसलिए कांग्रेस अंदरखाने खुशफहमी में है। बात कर रहे हैं महाराष्ट्र की सीमा से लगी विधानसभा सीट बुरहानपुर की। भाजपा ने यहां से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को फिर से मैदान में उतारा है। वे इससे पहले 2003, 2008 और 2013 में भी विधायक चुनी जा चुकी हैं। चिटनीस को भाजपा ने 1998 में उनके पिता की सीट नेपानगर विधानसभा से टिकट दिया था लेकिन वे कांग्रेस प्रत्याशी रघुनाथ चौधरी से महज 251 वोटों से चुनाव हार गई थी। इसके बाद वो 2018 में वो दूसरी बार चुनाव हारीं। कांग्रेस ने यहां से ठाकुर सुरेन्द्र सिंह शेरा को प्रत्यशी बनाया है। अब इस सीट पर मुकाबला काफी रोचक है। पिछले चुनाव में सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरा ने अर्चना चिटनीस को हराया था। उस समय शेरा किसी पार्टी से नहीं बल्कि निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे। 2018 के चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में था, लेकिन ठाकुर सुरेन्द्र सिंह ने निर्दलीय मैदान में उतरकर ऐसा समीकरण बनाया कि सारे समीकरण ध्वस्त हो गए। कांग्रेस के प्रत्याशी की तो यहां से जमानत जब्त हो गई थी। भाजपा में चिटनीस के टिकट को लेकर असंतोष सड़क पर दिखा वैसा ही कांग्रेस भी नजर आया। शेरा को टिकट देने का विरोध भी बुरहानपुर में दिखा। टिकट मिलते ही कांग्रेस के करीब 23 पार्षदों ने इस्तीफा तक दे दिया। कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि जो कांग्रेस से बागी होकर लड़ा और जिसकी सरकार गिराने में भूमिका रही उसे टिकट क्यों दिया है? वैसे सुरेन्द्र सिंह शेरा पहले कांग्रेस में रह चुके हैं। अनिल पुरोहित




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