(गोंडा)मेहनौन गांव में स्थापित मां पटमेश्वरी देवी का मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र

  • 28-Sep-25 12:00 AM

मेहनवन (गोण्डा) 28 सितंबर। धानेपुर थाना क्षेत्र के मेहनौन गांव में स्थापित मां पटमेश्वरी देवी का मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। वैसे तो साल भर यहां मां के भक्त दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचते हैं और मां की पूजा-अर्चना के साथ अपने सुख-समृद्धि की कामना करते हैं, लेकिन नवरात्र के दिनों में यह संख्या लाखों मे पहुंच जाती है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना को मां अवश्य पूरा करती हैं।जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर मेहनौन गांव में मां का मंदिर स्थापित है। मां यहां पिंडी रूप में विद्यमान है। इस मंदिर में मां का आविर्भाव करीब चार सौ सालों पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि चार सौ साल पहले इस क्षेत्र में म्लेच्छ वंश का एक आततायी राजा था। उसके आतंक से पूरे क्षेत्र की जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी। वह आततायी नवविवाहिता महिलाओं की डोली रोक लिया करता था और उनके साथ दुव्र्यवहार करता था।वध के बाद मां ने यहां विश्राम किया था। उसके इस कृत्य से लोगों का जीना मुहाल हो गया था और महिला सुरक्षा पर बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया था। परेशान बेटियों की अस्मिता की रक्षा के लिए मां ने दुल्हन का वेश धारण किया और डोली में बैठकर उस आततायी के महल के करीब पहुंची। दुल्हन वेश में डोली में बैठी मां भगवती को उस आततायी दुरात्मा ने नवविवाहिता समझकर रोक लिया और मां के साथ दुव्र्यवहार करना चाहा, लेकिन मां ने दुल्हन वेश में ही उस आतातायी का वध कर डाला। इस परिश्रम से थककर मां ने इसी स्थान पर विश्राम किया। पहले यहां किसी के विश्राम करने की इजाजत नहीं थी।उधर दुरात्मा के वध की खबर सुनकर प्रसन्नता की लहर दौड़ गई और लोगों ने मां की पूजा-अर्चना कर इसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की। भक्तों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर मां इसी स्थान पर पिंडी रूप मे विराजमान हुईं। तब से आज तक यह स्थान लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मेहनौन गांव के बाहर स्थित पिंडी रूप में विराजमान मां के इस स्थान पर पहले किसी को रात्रि विश्राम की इजाजत नहीं थी। यहां पर किसी तरह के निर्माण की अनुमति भी नहीं थी।बाक्स में लगाएं- अनुमति मिलने पर किया गया निर्माणसैकड़ों साल तक मां यहां खुले आसमान के नीचे पिंडी रूप में रहीं। कालांतर में आबादी बढऩे पर यहां मां से मंदिर निर्माण की प्रार्थना की गई। इसके बाद अनुमति मिलने पर स्थानीय लोगों और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के सहयोग से अब यहां भव्य मंदिर निर्माण कराया गया है। मंदिर में मां की भव्य प्रतिमा भी स्थापित की गई है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं के लिए आश्रय स्थल भी बनाए गए हैं। अब यहां पूरे साल मां के भक्तों का तांता लगा रहता है।मां की आज्ञा से ही यहां मांगलिक कार्य होता है। मां के प्रति लोगों की आस्था ऐसी है कि आज भी पूरे क्षेत्र में कोई भी मांगलिक कार्यक्रम हो मां के आशीर्वाद के पूरा नहीं होता। कोई भी मांगलिक कार्यक्रम मां का आदेश से ही होता है। आज भी यहां विवाह होने पर जब दुल्हन विदा होती है तो वह सबसे पहले मां के मंदिर पहुंचकर आशीर्वाद लेती है। डोली यहां की परिक्रमा करने के बाद ही आगे बढ़ती है। इसके अलावा वर्ष भर मंदिर में मुंडन, भागवत कथा और ब्रम्हभोज कार्यक्रम आयोजित होता रहता है मंदिर के पुजारी शारदा कांत पांडे ने बताया है इस स्थान पर दिल्ली मुंबई गोवा लुधियाना राजस्थान मध्य प्रदेश लखनऊ लोग आते रहते हैं मां दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment