(ग्वालियर) 25 वर्षों में पहली बार सिंधिया घराना चुनावी मैदान से दूर

  • 22-Oct-23 12:00 AM

ग्वालियर,22 अक्टूबर (आरएनएस)। जैसे ही शनिवार शाम भाजपा की प्रत्याशियों की पाँचवीं सूची जारी हुई लंबे समय से चंबल सहित मप्र में चल रही उस चर्चा पर भी पूर्ण विराम लग गया, जिसमें लोग एक दूसरे से पूछ रहे थे कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को किस सीट से भाजपा चुनाव मैदान में उतारेगी। 25 वर्षों में यह पहली बार है कि सिंधिया घराने का कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं है। जब से पहली सूची में केंद्रीय मंत्री और सांसदों को उतारा गया तभी से हर गली-चौपाल पर चुनावी चर्चा में बस एक ही चर्चा थी कि महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया कहां से उतारे जाएंगे। इस बीच यशोधराराजे के चुनाव न लडऩे की घोषणा के बाद यह चर्चा और तेज हो गई कि इस चुनाव में महल (सिंधिया आवास) से कौन चुनाव लड़ेगा। यह इसलिए भी क्योंकि वहां की राजनीति महल से हमेशा से ही प्रभावित रही है। इंटरनेट मीडिया पर तैर रही प्रत्याशियों की तमाम असली-नली सूचियों में यहां के लोग सबसे पहला नाम ढूंढ रहे थे... सिंधिया। उनके समर्थक और विरोधियों में एक ही उत्सुकता थी कि जब इस बार रण में भाजपा ने मुख्यमंत्री के दावेदार हर चेहरे को चुनाव में उतार दिया है तो फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम क्यों नहीं है। अब जबकि सिंधिया चुनावीरण में नहीं हैं तो समर्थकें को डर है कि उनके प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं भी कमजोर पड़ जाएंगी और वह दिल्ली के नेता ही कहलाएंगे। सिंधिया के समर्थकों का यह डर कुछ हद तक सही भी हो सकता है। शिवपुरी में कांग्रेस ने लगा दिया था एंबुश - सिंधिया परिवार के चुनाव लडऩे की ऊहापोह के बीच कांग्रेस ने फ्रंट फुट पर आकर शिवपुरी में जो शाट खेला उससे भी महल की मुश्किलें बढ़ गई थी। दरअसल शिवपुरी की परंपरागत सीट महल के कब्जे में रही है। 25 वर्षों से खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे चुनाव लडऱही थीं। इस बार बुआ के मना करते ही कांग्रेस ने पास की विधानसभा सीट पिछोर से छह बार के अपराजित केपी सिंह को पहले ही शिवपुरी का टिकट देकर एक बड़ी चाल चल दी थी। भाजपा ने प्रयास किया कि यशोधरा राजे सिंधिया के मना लिया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो सका। समर्थकों की चाहत ग्वालियर दक्षिण - महल से जुड़े लोग या समर्थक इस बार किसी भी कीमत पर उन्हें किसी मुश्किल सीट पर नहीं देखना चाहते थे। शिवपुरी के अलावा सिंधिया के पास ग्वालियर शहर की दो सीटें दक्षिण और पूर्व भी विकल्प के रूप में मौजूद थी। समर्थक चाहते थे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया दक्षिण से चुनाव लड़ें क्योंकि पिछली बार यहां भाजपा महज 121 वोटों से चुनाव हारी थी। सथ ही यहां मराठा वोट भी अधिक संख्या में हैं। ग्वालियर पूर्व से महापौर के पति और कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार टक्कर दे सकते थे। अनिल पुरोहित




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