(छतरपुर)बागेश्वर महाराज ने नौवें दिन सुनाई सिद्धिदात्री माता की महिमा
- 30-Sep-25 12:00 AM
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छतरपुर 30 सितंबर (आरएनएस)।सिद्ध तीर्थ बागेश्वर धाम में बागेश्वर महाराज पिछले 9 दिनों से आदिशक्ति देवी मां के महात्म्य का बखान कर रहे हैं। उन्होंने नौवे दिन सिद्धिदात्री माता की महिमा का विस्तार से वर्णन किया। महाराज श्री ने कहा कि संकल्प के साथ साधना करने से सिद्धिदात्री माता की कृपा मिलती है।बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आदि शक्ति के नौवें रूप सिद्धिदात्री माता की कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि यह माता सिद्धि को देने वाली हैं। नवरात्रि में संकल्प के साथ सिद्धिदात्री माता की साधना करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। महाराज श्री ने कहा कि साधना ऐसी हो कि साधक और साध्य में अंतर न रह जाए।बागेश्वर महाराज ने कथा क्रम के नौवे दिन सिद्धिदात्री माता की महिमा सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी सिद्धियां प्राप्त करने इनकी आराधना करते हैं। संसार में सभी वस्तुओं को सहज और सुलभता से प्राप्त करने के लिए नवरात्र के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है। महाराज श्री ने कथा प्रेमियों को बताया कि सिद्धिदात्री माता को प्रसन्न करने के लिए साधक को रात्रि में 108 लौंग की माला बनाकर देवी को अर्पित करते हुए लाल आसन में बैठकर बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अद्र्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। महाराज श्री ने कहा कि कलियुग में भी देवी के दर्शन हो सकते हैं बशर्ते हम सपूत बनें।बागेश्वर महाराज ने देश भर में गरबा के चलन पर कहा कि गरबा खेलना गलत नहीं है लेकिन गरबा में मर्यादित वस्त्रो का उपयोग होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में फूहड़ता अधिक हो रही है, हमारे सनातन का मजाक उड़ाया जाता है। गलत भावना के साथ युवक युवतियां गरबा खेलते हैं। गरबा में उन्हीं बेटा बेटियों को प्रवेश मिले जिनकी पोशाक मर्यादित हो। महाराज श्री ने कहा कि नवरात्रि में बेटियों को पूज कर कन्या भोज कराने का महत्व है। हम सबको कन्या भोज के बाद उन्हें दक्षिणा देते हुए उनकी सुरक्षा का संकल्प लेना चाहिए।बागेश्वर धाम में 64 खप्पर रखकर 9 दिनों तक आराधना की जा रही थी। देवी भजनों के साथ 64 खप्परों को गांव के प्राचीन देवी मंदिर ले जाया गया जहां उन्हें सम्मान के साथ रखा गया। इसके पूर्व बागेश्वर धाम में कन्याओं का पूजन करते हुए पं. शालिगराम गर्ग ने उन्हें दक्षिणा दी। कन्याओं के सिर पर खप्पर रखकर समूचे गांव में जवारे निकाले गए। लोगों ने अपने-अपने दरवाजों पर जवारों की पूजा की। ढोल नगाड़े के साथ उत्साह से लोग पूरे गांव में घूमते रहे। गांव के लोग भक्ति भाव के साथ माता रानी के भजन गाते चल रहे थे। उल्लेखनीय है कि ग्राम गढ़ा के लोग बागेश्वर धाम में 64 खप्पर रखकर इनकी आराधना करते रहे। इस मौके पर लोकेश गर्ग, अखिलेश गर्ग, डॉ. बंगाली, रवि प्रताप सिंह, राकेश शिवहरे, मिंचू सिंह, उमाशंकर पाठक, संदीप पाठक, कल्याण कुशवाहा, धर्मेंद्र पाठक, पवन पाठक, जालम कुशवाहा, रामरतन अहिरवार, दीनदयाल साहू, धन्नी साहू, अच्छे लाल आदिवासी, मोना आदिवासी, रामप्रसाद अहिरवार, शिवराम प्रजापति सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण कार्यक्रम में शामिल हुए।बागेश्वर धाम में 9 दिनों तक शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जाता रहा। हर रोज भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और समूचे विश्व का कल्याण करने के लिए आहुतियां दी गई। मंगलवार को महायज्ञ में पूर्णाहुति दी गई। बनारस से आए विद्वान ब्राह्मणों ने विधि विधान से शतचंडी महायज्ञ संपन्न कराया। सुबह से पूजन के बाद आहुतियां देने का कार्य शुरू हो जाता था। नवरात्रि के पहले दिन से ही सत चंडी महायज्ञ की शुरुआत हुई थी। सुबह यज्ञ, दोपहर में कथा और रात में रामलीला का मंचन किया जाता रहा।
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