(छिंदवाड़ा)मासूम बच्चों की मौत: यह दुर्घटना नहीं, सरकारी हत्या है-जीतू पटवारी

  • 06-Oct-25 12:00 AM

छिंदवाड़ा 6 अक्टूबर (आरएनएस)।मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीली कफ़ सिरप के कारण 16 मासूम बच्चों की असामयिक और हृदयविदारक मृत्यु ने पूरे प्रदेश को गहरे सदमे, शोक और आक्रोश में डुबो दिया है। यह त्रासदी केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की घोर लापरवाही, भ्रष्टाचार और दवा माफिया की मिलीभगत का परिणाम है, जिसे अब सरकारी हत्याÓ ही कहा जा सकता है।मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस अमानवीय अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव और स्वास्थ्य मंत्री को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के दोषियों पर तत्काल कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, अन्यथा कांग्रेस पार्टी पूरे प्रदेश में जन आंदोलन छेड़ देगी।जीतू पटवारी परासिया (छिंदवाड़ा) पहुंचे, जहां उन्होंने शोकाकुल पीडि़त परिवारों से मुलाकात की, उनकी पीड़ा को साझा किया और गहरी संवेदना व्यक्त की।इसके बाद जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित एक दिवसीय अनशन में हिस्सा लेते हुए उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण किया और दिवंगत 16 मासूम बच्चों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।अनशन फव्वारा चौक पर आयोजित किया गया, जहां सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता, नेता और स्थानीय नागरिक उपस्थित हुए। इस अवसर पर जुनार्देव विधायक सुनील उइके, परासिया विधायक सोहन वाल्मीक, पांढुर्णा विधायक निलेश उइके, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गंगा प्रसाद तिवारी, जिला कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे, पूर्व विधायक संजय शर्मा, निलय डागा सहित अनेक नेता और आमजन मौजूद थे। जीतू पटवारी ने कहा कि यह सरकारी हत्या है अनशन और श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए जीतू पटवारी ने कहा, परासिया, छिंदवाड़ा, चौरई व सौंसर के इन 16 निर्दोष मासूम बच्चों की मौत ने हम सभी को विचलित कर दिया है। ये बच्चे काल के गाल में समा गए, लेकिन यह दुर्घटना नहीं, बल्कि सरकारी हत्या है। इसकी जिम्मेदारी किसी न किसी को तो लेनी ही होगी। सर्वप्रथम दवाई बेचने वाले, स्वास्थ्य कमिश्नर, स्वास्थ्य मंत्री एवं ड्रग कंट्रोलर के खिलाफ हत्या का अपराध पंजीकृत किया जाना चाहिए।उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, सीएम मोहन यादव अपने पाप छिपाने के लिए डॉक्टर पर अपराध कायम करवा रहे हैं, जबकि इस मामले में डॉक्टर सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है। उसने तो केवल दवाइयां लिखीं, लेकिन उसमें हुई मिलावट के लिए सरकार जिम्मेदार है। स्वास्थ्य मंत्री का गैर-जिम्मेदाराना बयान कि सिरप में मिलावट नहीं है, उनकी कमीशन की दुकान को जारी रखने के लिए दिया गया है। मुख्यमंत्री को संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करना था। छिंदवाड़ा के सांसद क्रिकेट खेलते रहे, गरबा में नाचते रहे, लेकिन मात्र 25 किमी चलकर पीडि़त परिवारों से नहीं मिल सके। भाजपा के भ्रष्टाचार से मध्य प्रदेश अमानक दवाइयों के विक्रय का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। पटवारी ने विगत दो वर्षों में मध्य प्रदेश में हुए नवजात बच्चों की मौतों की जांच की मांग करते हुए कहा, यह पहली घटना नहीं है। विगत दो वर्ष में मप्र में जितने भी नवजात बच्चों की मौत हुई है, उसकी जांच कराई जानी चाहिए। यह भाजपा सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है।"उन्होंने कहा छिंदवाड़ा कमलनाथ एवं माननीय नकुलनाथ का परिवार है। यह बात मैं अनेकों बार कह चुका हूं। यहां कोई विपदा आती है तो कमलनाथ जी और नकुलनाथ जी असहज व विचलित हो उठते हैं। लेकिन दूसरी ओर सांसद हैं, जिन्हें नौटंकी और बयानबाजी से फुरसत नहीं है। कांग्रेस आमजन की पार्टी है, यह राजनीति का विषय नहीं है, यह प्रदेश के भविष्य का सवाल है, जिसे बचाने का दायित्व कांग्रेस का है। हम विपक्ष में रहकर सरकार को सही दिशा में चलाने का काम करेंगे।पटवारी ने मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा, कम से कम अब तो सरकार को सरकार की तरह एक बार चलाकर दिखाएं। अंत में पटवारी ने कहा कि भोपाल पहुंचकर वे सम्पूर्ण मामले को राज्यपाल के समक्ष रखेंगे और सीएम से मुलाकात का समय मांगेंगे। यदि समय दिया गया, तो उनसे भी चर्चा करेंगे। अनशन के बाद वे नागपुर में भर्ती बच्चों से मुलाकात के लिए रवाना हुए। जीतू पटवारी ने इस त्रासदी के दोषियों को दंडित करने और पीडि़त परिवारों को न्याय दिलाने के लिए निम्नलिखित मांगें दोहराईं:दोषियों पर तत्काल और कठोर कार्रवाई: इस हत्याकांड के लिए जिम्मेदार दवा निर्माता कंपनियां (जैसे कोल्ड्रिफ सिरप के निर्माता), वितरक, दवा माफिया, स्वास्थ्य कमिश्नर, स्वास्थ्य मंत्री एवं ड्रुग कंट्रोलर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। डॉक्टरों को बलि का बकरा बनाने के बजाय असली दोषियों को सजा दी जाए। स्वास्थ्य मंत्री की तत्काल बर्खास्तगी: स्वास्थ्य मंत्री के गैर-जिम्मेदाराना बयानों और लापरवाही के लिए उन्हें तुरंत पद से हटा दिया जाए। मुख्यमंत्री को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। पीडि़त परिवारों को पर्याप्त मुआवजा: प्रत्येक पीडि़त परिवार को कम से कम 1 करोड़ रुपये का मुआवजा तत्काल प्रदान किया जाए। वर्तमान में घोषित 4 लाख रुपये का मुआवजा अपर्याप्त है। इसके अलावा, शेष बच्चों के इलाज और परिवारों की दीर्घकालिक सहायता सुनिश्चित की जाए। निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच: इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष जांच दल का गठन किया जाए, जिसमें स्वतंत्र विशेषज्ञ और न्यायिक अधिकारी शामिल हों। जांच का दायरा दवा के निर्माण से लेकर वितरण, गुणवत्ता नियंत्रण और सरकारी निगरानी तक विस्तृत हो। विगत दो वर्षों की सभी संदिग्ध मौतों की भी जांच हो। जीतू पटवारी ने कहा, कांग्रेस पार्टी इस दुख की घड़ी में प्रत्येक शोकाकुल परिवार के साथ खड़ी है।हम इन मासूम फरिश्तों को न्याय दिलाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे। यह प्रदेश के भविष्य का सवाल है, और हम विपक्ष के नाते सरकार को सही दिशा दिखाएंगे। यदि सरकार ने तत्काल कार्रवाई नहीं की, तो हम सड़क से सदन तक आंदोलन करेंगे। अनशन में उपस्थित सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में दोषियों को सजा और पीडि़त परिवारों को न्याय दिलाने का संकल्प लिया। इस दौरान मासूम बच्चों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया। पटवारी ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस त्रासदी के खिलाफ एकजुट हों। उन्होंने कहा, यह छिंदवाड़ा की नहीं, पूरे मध्य प्रदेश की त्रासदी है। हमें मिलकर सरकार से जवाब मांगना होगा ताकि हमारे बच्चे सुरक्षित रहें।




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