(छिंदवाड़ा) गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे पातालकोट के आदिवासी
- 01-May-24 12:00 AM
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छिंदवाड़ा,01 मई (आरएनएस)। बूंद-बूंद पानी की अहमियत क्या होती है इसे जानने के लिए एक बार छिंदवाड़ा के पातालकोट चले जाइए, आदिवासियों को कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद बमुश्किल एक दो बर्तन पीने के पानी का जुगाड़ हो पाता है, बच्चों के साथ महिलाएं सुबह से पानी के लिए जंगलों की खाक छानती हैं तब जाकर कहीं कुछ बर्तन पानी मिलता है और फिर वापस घर पहुंचती हैं। छिंदवाड़ा। नाम पातालकोट जरूर है लेकिन इस पाताल में पानी नहीं है, पातालकोट का अधिकांश इलाका पहाडी और जंगलों से भारपूर है, इस गांव में पानी की पाइप लाइन बिछी जरूर हैं लेकिन यह शोपीस बन चुकी है, हैंडपंप तो हैं लेकिन सभी खराब पड़े हैं, आदिवासियों ने कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को चेताया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं है, अब इन आदिवासियों ने एक बार फिर कलेक्टर से गुहार लगाई है। दुनिया में पहचान है पातालकोट की - दुनिया भर में अपनी पहचान कायम करने वाले पातालकोट में भी पानी की समस्या है, यहां के आदिवासी दो से चार किलोमीटर का सफर हर दिन पीने के पानी के लिए करते हैं, घर में पीने के पानी का जुगाड़ हो सके इसके लिए घर की महिलाओं से लेकर छोटे-छोटे बच्चे अपने सिर पर बर्तन लेकर मीलों का सफर करते हैं तब जाकर मुश्किल से पीने का पानी का जुगाड़ हो पाता है, पातालकोट का अधिकतर इलाका पहाड़ी और जंगलों से भरा हुआ है इसलिए इन ऊबड़ खाबड़ रास्तों से ही होकर लोगों को पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। आदिवासियों ने बताया कि उनके गांव में हैंडपंप तो लगाए गए हैं लेकिन किसी के पाइप फटे हैं तो किसी में पानी नहीं आता है इतना ही नहीं ग्राम पंचायत में पाइप लाइन भी बिछाई है लेकिन पानी नहीं आता है, गांव के ही आसपास के किसानों के स्त्रोत में कुए हैं वहां कुछ पानी है वहां से ही पीने के पानी का जुगाड़ हो पाता है लेकिन उनके लिए भी मीलों दूर तक जाना पड़ता है। अनिल पुरोहित
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