(जगदलपुर)राजकीय पशु वन भैंसा की संख्या में हो रही है वृद्धि: वन मंत्री केदार कश्यप

  • 23-Sep-25 02:36 AM

= 6 से बढ़कर 10 हो गया है वन भैंसों का कुनबा =

जगदलपुर। , 23 सितबंर (आरएनएस )। छत्तीसढ़ में राजकीय पशु वन भैंसों की संख्या में आशातीत वृद्धि हो रही है। इनकी संख्या अब 6 से बढ़कर 10 हो गई है। वन भैंसों के कुनबे में तीन नन्हे मेहमान आए, मगर एक की मौत हो गई।  
 छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने यह जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया है कि वनभैंसों की संख्या में वृद्धि करने के उद्देश्य से राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की 2017 की बैठक में मानस टायगर रिजर्व असम से वन भैंसे लाकर छत्तीसगढ़ राज्य में चयनित स्थल बारनवापारा में रख कर संख्या वृद्धि किये जाने संबंधित अनुमति प्राप्त हुई थी। तत्संबंध भारत शासन पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा मानस टायगर रिजर्व से बारनवापारा अभ्यारण्य लाने की अनुमति प्राप्त हुई थी। असम राज्य से वर्ष 2020 में 1 नर एवं 1 मादा वनभैंसा तथा वर्ष 2023 को 4 मादा वनभैंसो को बारनवापारा अभ्यारण्य लाया गया। इन्हें अभ्यारण्य क कोठारी परिक्षेत्र में निर्मित 10 हेक्टेयर के बाड़े में रखा गया है। वर्ष 2024 में वनभैंसा संरक्षण एवं संवर्धन केंद्र खैरछापर में मादा वनभैसा मानसी द्वारा एक नर बच्चे को एवं एक अन्य मादा वनभैंसे द्वारा एक मादा बच्चे को जन्म दिया गया था। वर्ष 2025 में भी पूर्व वर्ष की भांति 2 मादा एवं 1 नर बच्चे का जन्म हुआ है, जिनमे से एक मादा बच्चे की आकस्मिक मृत्यु हो गई है जिसका विधिवत पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा शव परीक्षण किया गया है। वर्तमान में वनभैसों की संख्या 6 से बढ़ कर कुल 10 हो गई है। यह बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र की वनभैंसों के लिए अनुकूलता का परिचायक है। वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में वन भैंसों के संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि सें यह कार्य एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। हमने इस तरह के चुनौतीपूर्ण एवं जटिल कार्य को संभव कर दिखाया और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अथक प्रयासों से सफल हुआ कार्य सराहनीय है तथा भविष्य में वन भैंसों को वन क्षेत्रों में पुन:स्थापित करने हेतु वन विभाग को प्रोत्साहित भी किया है। भविष्य में छत्तीसगढ़ प्रदेश में वन भैसों की संख्या में और वृद्धि होगी।

 




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment