(जगदलपुर) ऑपरेशन घर वापसी ने पकड़ी रफ्तार; दो और परिवारों ने की मूल धर्म में वापसी

  • 08-Oct-25 01:07 AM

0 जय श्रीराम और हर हर महादेव के जयघोष गूंज उठा सरोना गांव
0 शंकर मंदिर में पूजा पाठ, लौटे परिवारों का स्वागत
= अर्जुन झा =
जगदलपुर, 08 अक्टूबर (आरएनएस)। बस्तर संभाग में ऑपरेशन घर वापसी रफ्तार पकड़ चुका है। कन्वर्टेड हो चुके परिवार अब एक के बाद एक अपने मूल धर्म में वापस लौटने लगे हैं। इस तरह की जागरूकता संभाग के कांकेर जिले में ज्यादातर देखने को मिल रही है। इस जिले के बोटेचांग गांव में तीन भाइयों के परिवारों की मूल धर्म में वापसी के बाद अब इसी जिले के ग्राम सरोना के भर्रीपारा से भी अपने मूल धर्म के प्रति निष्ठा और सामाजिक सद्भाव का संदेश देने वाला एक प्रेरणादायी उदाहरण सामने आया है। ग्राम सरपंच और अन्य ग्राम प्रमुखों की पहल पर सरोना के भर्रीपारा में निवासरत दो धर्मांतरित परिवारों ने घर वापसी की है। इन लोगों को लालच और भ्रम जाल में फंसा कर कन्वर्ट कर लिया गया था। दोनों परिवारों के प्रमुखों का कहना है कि लगभग दो वर्ष पूर्व प्रलोभन के कारण वे दूसरे धर्म में चले गए थे। लेकिन समय के साथ उन्हे अपनी गलती का अहसास हुआ और अपने मूल हिंदू धर्म में वापस लौटने का निर्णय लिया। सरोना में इसी विषय को लेकर दो दिन पहले लगभग 35 गांवों के लोगों ने बैठक की और धर्मांतरण को लेकर चिंता जताई थी। इस बैठक में यह तय किया गया था कि गांव के जिस परिवार ने धर्मांतरण किया है, उससे संवाद करके उसके धर्मांतरण करने का कारण जाना जाएगा और उसको अपने धर्म में वापस होने की समझाईश दी जाएगी। इस बैठक का यह परिणाम सामने आया कि सरोनों के भर्रीपारा के दो परिवार के प्रमुख एवं सदस्य अपने मूलधर्म में वापस आ गए। ग्रामवासियों ने दोनों परिवारों का स्वागत परंपरागत तरीके से पैर धोकर और आरती उतारकर किया और उनकी घर वापसी कराई। यह दृश्य अत्यंत भावनात्मक रहा। इस दौरान ग्राम सभा में मौजूद ग्रामीणों ने भी दोहराया कि वे अपने गांव में हर तरह के धर्मांतरण के प्रयासों का विरोध करेंगे और सामाजिक एकता बनाए रखेंगे। कार्यक्रम के अंत में दोनों परिवारों को पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया गया और सभी ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि गांव में भाईचारा और एकता की भावना सदैव बनाए रखेंगे। पूरे वातावरण में जय श्रीराम और हर हर महादेव के जयघोष गूंजते रहे। ग्राम सभा के दौरान दोनों परिवारों ने खुले रूप में अपने विचार रखते हुए कहा कि वे अब अपने मूल धर्म में स्थायी रूप से रहेंगे और समाज व संस्कृति से जुड़कर जीवन व्यतीत करेंगे।
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सबसे बड़ा कारण लालच
ग्राम सरपंच दीपिका वट्टी ने कहा कि धर्मांतरण के पीछे लालच और गलत जानकारी का बड़ा कारण होता है। उन्होंने गांव के सभी परिवारों से आग्रह किया कि वे अपनी आने वाली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और हिंदू परंपराओं के प्रति जागरूक करें ताकि भविष्य में कोई भ्रमित न हों।भाजपा मंडल के पूर्व अध्यक्ष यशवंत सुरोजिया ने कहा कि हमारा धर्म, हमारी संस्कृति ही हमारी असली पहचान हैं। किसी भी प्रलोभन में आकर अपनी जड़ों से कटना सही नहीं है। आज इन परिवारों ने जो साहस दिखाया है, वह समाज के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि समाज को ऐसे लोगों का सम्मान करना चाहिए, जो अपनी संस्कृति और परंपराओं की ओर लौटने का साहस दिखाते हैं।
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जागरुकता व एकता का संदेश
जिला पंचायत उपाध्यक्ष तारा ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि धर्मांतरण हमारी संस्कृति और परंपराओं को कमजोर करता है। आज जिन परिवारों ने अपनी जड़ों की ओर लौटने का निर्णय लिया है, वे समाज में जागरूकता और एकता का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज को ऐसे परिवारों का स्वागत करना चाहिए जो अपने धर्म और संस्कृति के प्रति समर्पित है।
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