
(जगदलपुर) गृहमंत्री विजय शर्मा ने फिर रच दिया एक इतिहास
- 03-Apr-25 11:19 AM
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0 घोर नक्सल प्रभावित गांव रायगुडेम पहुंचे बाइक से

0 इलाके में पहुंचने वाले पहले गृहमंत्री हैं शर्मा
-अर्जुन झा-
जगदलपुर, 03 अप्रैल (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा वास्तव में बड़े जीवट व्यक्ति हैं। उन्हें अपनी जान से ज्यादा एंटी नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों और नक्सलवाद के कारण विकास की मुख्यधारा से कटे रह गए ग्रामीणों की चिंता रहती है। यही वजह है कि वे अक्सर ऐसे गांवों में चले जाते हैं, जहां कदम रखना भी खतरे से खाली नहीं। अपनी इसी जांबाजी के चलते विजय शर्मा इतिहासपर इतिहासरचते जा रहे हैं। विजय शर्मा आज 3 अप्रैल को भी बाइक की सवारी करते हुए सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थापित कैंप रायगुडेम में जा पहुंचे।
देश की आजादी के बाद पहली बार सुकमा जिले के नक्सलगढ़ रायगुडेम में कोई गृहमंत्री पहुंचा है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा पहले होम मिनिस्टर हैं जो एक जवान की बाइक पर कच्ची सड़क से होते हुए बैठकर रायगुडेम पहुंचे। वहां सबसे पहले उन्होंने ग्रामीणो के बीच बैठकर उनसे बातचीत की उनका दुख दर्द पूछा। श्री शर्मा ने ग्रामीणों को केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया और गांव में व्याप्त समस्याओं को जल्द दूर कराने का भरोसा दिलाया। रायगुडेम में सीआरपीएफ की 223वीं बटालियन का कैंप 22 नवंबर 2024 को खोला गया था। गृहमंत्री विजय शर्मा इस कैंप में भी पहुंचे। उन्होंने यहां पहले जवानों से मुलाकातकर उनकी हौसला अफजाई की। इसके बाद वे ऑफिसर्स ग्रुप की बैठक में शामिल हुए। बैठक में पुलिस और सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने नक्सल मोर्चे को लेकर ब्रीफिंग दी। सुकमा जिले के अंदरुनी इलाकों में स्थापित सीआरपीएफ के कैंपों में लगातार पहुंच कर उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा के जवानों से मुलाकात करते आ रहे हैं।स्थानीय ग्रामीणों से भी मुलाकात कर उनको राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचने के हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। नक्सलियों की नर्सरी के नाम से विख्यात एवं कुख्यात नक्सली हिड़मा के गृह ग्राम पूवर्ती पहुंचने वाले पहले गृहमंत्री विजय शर्मा ही हैं।. पूवर्ती में भी श्री शर्मा जमीन पर बैठकर ग्रामीणों से चर्चा करते नजर आए थे। इसके आलावा विजय शर्मा के खाते में यह उपलब्धि भी दर्ज है कि वे बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके में सड़क मार्ग से पहुंचे थे। इससे पहले किसी गृहमंत्री ने ऐसा साहस नहीं दिखाया था।
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