(जगदलपुर) संतोष है, उम्मीद की किरण है और महाभारत के दिव्य दृष्टि वाला संजय भी; फिर कैसे आगे नहीं बढ़ेगा जगदलपुर?

  • 12-Feb-25 09:40 AM

0 किरण देव, संतोष बाफना और संजय पांडे की तिकड़ी ने दिखाया कमाल



0 एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे और बटेंगे तो कटेंगे
0 -अर्जुन झा-
जगदलपुर, 12 फरवरी (आरएनएस)। संतोष में ही सुख निहित है, संतोष रखने से ही उम्मीद की किरण प्रस्फुटित होती है और आगे बढऩे के लिए वैसी ही दिव्य दृष्टि मिलती है, जैसे महाभारत के संजय को मिली थी। हमारे जगदलपुर के विकास के लिए संतोष है, किरण है और संजय भी है। हम बात कर रहे हैं शहर के तीन भाजपा नेताओं पूर्व विधायक संतोष बाफना, मौजूदा विधायक एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव और प्रखर युवा नेता एवं मेयर पद के भाजपा प्रत्याशी संजय पांडे की। इस तिकड़ी ने नगर निगम चुनाव में जैसा परफॉरमेंस दिखाया है, उससे हवा की लहर साफ नजर आ रही है। यह तस्वीर यह संदेश देती भी प्रतीत हो रही है कि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे और बंटेंगे तो कटेंगे।
शहर के वर्तमान विधायक किरण देव, पूर्व विधायक संतोष बाफना, और महापौर प्रत्याशी संजय पांडे ने इस चुनाव में काफी मेहनत की है। किरण देव ने  जनसंपर्क और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से प्रचार कर महापौर की सीट बीजेपी की झोली में लाने भरसक प्रयास किया। वहीं पूर्व विधायक संतोष बाफना ने जैन अल्प संख्यक समुदाय और माहेश्वरी समाज को भाजपा के पक्ष में लाने के लिए अथक प्रयास किया। वहीं संजय पांडे ने अपनी साफ सुथरी छवि के साथ युवा वर्ग को साधते हुए कर नगर में एक तरफा बीजेपी के दृष्टिकोण को सामने रखने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। व्यवहार कुशल, शालीन और वाकपटु संजय पांडे के इस प्रयास को साथ मिला सवर्ण वर्ग का जो चाहते थे कि इस बार इनकी पारी भी शहर के लोगों को देखने मिले। अब देखना यह है कि कांग्रेस के अल्पसंख्यक योद्धा रेखचंद जैन जो शहर के अल्पसंख्यक समाज में अपनी बड़ी हैसियत रखते हैं, उनके समर्थक और कांग्रेस के सभी नेताओं के एकजुट होने का फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को किस हद तक मिलता है? बीजेपी के चुनावी फ्रेम में नजर आए तीनो नेता अपनी उपस्थिति दर्ज कराने ही सामने आए हैं कि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे और बटेंगे तो कटेंगे। यह चुनाव भाजपा नेताओं की इस एकजुटता की अग्नि परीक्षा साबित हुआ है। दोनों ही दल अपनी एकजुटता को लेकर लगातार शहर में चर्चा में रहे हैं। अब 15 फरवरी को जो जीतेगा वो जगदलपुर का सिकंदर बनकर सामने आ ही जाएगा। वैसे अटकलों के बाजार में चर्चा है कि सत्ता पक्ष हमेशा मजबूत रहता है, मगर देश में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब उप चुनाव में सत्तारुढ़ दल को मात खानी पड़ी है। नगरीय निकाय चुनाव प्रदेश की सत्ता को देखते हुए स्थानीय मुद्दों के आधार पर लड़ा जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जगदलपुर में भाजपा अपनी बात मतदाताओं के बीच रखने में सफल रही है। अब बस नतीजों का इंतजार है। इस चुनाव ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को संदेश दे दिया है कि- एक रहोगे तो सेफ रहोगे और बंटोगे तो कटोगे। इसी तरह एकजुट रहेंगे तो पार्टी में वजूद सेफ रहेगा और बंटे रहेंगे तो पत्ता कट जाएगा।
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