(जौनपुर) नारी को सशक्त बनाने में स्वस्थ रखना पड़ेगा
- 29-Sep-25 12:00 AM
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जौनपुर 29 सितंबर (आरएनएस ) समर्पण से सशक्तिकरण विषय पर उन्मेष प्रज्ञा प्रवाह, विंध्याचल मण्डल के महिला आयाम का अभ्यास वर्ग का आयोजन जौनपुर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में किया गया। उद्घाटन सत्र में भारतीय जीवन दृष्टि में नारी का महत्व विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि पश्चिमी सभ्यता की सोच भारत पर थोपी गई, झूठा विमर्श खडाकर भारत की नारियों को पुरुषों के विरुद्ध खड़ा किया गया। संयुक्त परिवार को तोडऩे का प्रयास किया गया ,एकल परिवार को बढ़ावा दिया गया जिसे बाजारवाद विकसित हुआ। अध्यक्षता करते हुए आईएमए की अध्यक्ष डाक्टर शुभा सिंह ने कहा कि नारी को सशक्त बनाने के लिए उसे स्वस्थ रखना पड़ेगा जिसके लिए उसे पोषक भोजन पर्याप्त नींद और तनाव मुक्त रहना होगा यदि नारी स्वस्थ रहेगी तो अपने बच्चों को संस्कार दे पाने में सक्षम हो सकेगी।इसके पूर्व प्रज्ञा प्रवाह का दृष्टि पत्र और प्रस्तावना डॉक्टर श्रुति मिश्रा ने पढ़ा। पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने कहा कि ष्प्रज्ञा प्रवाह के कार्य विस्तार एवं भूमिका में महिलाओं की विशेष आवश्यकता है ।महिलाओं को सेमिनार संगोष्ठी चर्चा- परिचर्चा और पाडकास्ट के माध्यम से हमें अपने विचार को आगे ले जाना होगा ।अपनी भावी पीढ़ी को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने के लिए हमें महिलाओं के छोटे-छोटे समूह का निर्माण कर विस्तार हेतु निरंतर प्रयास करना होगा। पूर्व कुलपति प्रोफेसर चंद्रकला पाडिय़ा ने कहा कि ष्समाज को देखना और समझना है तो अपनी सभ्यता और संस्कृति को देखना होगा, उन्होंने कहा कि वेद उपनिषद अपौरुषेय हैं ,हमारे ऋषि मुनियों ने सत्य का साक्षात्कार किया । हमारे ऋषियों ने स्त्री को पुरुष के ऊपर स्थान दिया है ।अन्य मतावलंबियों ने स्त्री को अपने समाज में दोयम दर्जे का स्थान दिया है । कठोपनिषद के मंत्र का उदाहरण देते हुए प्रोफेसर चंद्रकला पाडिय़ा जी ने कहा कि स्त्री पुरुष चेतना के स्तर पर समान होते हैं ।विश्व के किसी भी नारीवादी संगठन या व्यक्ति ने यह नहीं कहा है की यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता सौंदर्य लहरी में लिखते हुए आदि गुरु शंकराचार्य ने कहा है कि शिव भी बिना शक्ति के शव के समान हैं ।हमें अपने बच्चों को भारतीय दर्शन अवश्य पढ़ाना चाहिए । अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर डॉक्टर रुचिरा सेठी ने कहा कि ष्जिस प्रकार देवी दुर्गा के आठ हाथ हैं उसी प्रकार भारत की नारियां भी अनेक हाथों से कार्य करती हैं। घर बाहर प्रशासन संस्कार शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में नारियों ने अपने परिश्रम के बल पर उच्च स्थान प्राप्त किया है, हमें अपने आने वाली पीढ़ी को सक्षम और सुसंस्कृत बनाना होगा जिससे भारत विश्व गुरु के पद पर पुन: आसीन हो सके। रामाशीष ने कहा कि समाज के संपूर्ण अधिष्ठान का केंद्र परिवार है शिव और शक्ति का संचालन साथ-साथ होता है ।उन्होंने भारत की सनातन ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में ऋषिकाओं का के योगदान का संपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया। मैत्रेयी ,गार्गी , कात्यायनी, अपाला, घोषा आदि नारियों के ज्ञान का स्मरण करते हुए कहा कि वेद और उपनिषद की अनेक ऋचाओं की दृष्टा हमारी ऋषिकाएं रही हैं ।
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