(डोंगरगढ़) शिक्षक की पिटाई से सातवीं कक्षा के छात्र की सुनने की शक्ति गई

  • 07-Jul-25 02:43 AM

0 परिजनों ने की सख्त कार्रवाई की मांग
डोंगरगढ़, 07 जुलाई (आरएनएस)। शहर के खालसा पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत कक्षा सातवीं के छात्र के साथ हुई एक गंभीर घटना ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, 13 वर्षीय छात्र सार्थक सहारे को स्स्ञ्ज की कक्षा के दौरान शिक्षिका द्वारा कथित तौर पर कई थप्पड़ मारे गए। इनमें से एक थप्पड़ इतना जोरदार था कि छात्र की सुनने की शक्ति प्रभावित हो गई। यह मामला 2 जुलाई का है। परिजनों का कहना है कि स्कूल से लौटने के बाद सार्थक ने शिकायत की कि उसे ठीक से सुनाई नहीं दे रहा। इसके बाद उसे तुरंत डोंगरगढ़ के अस्पताल में ले जाया गया। जब स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उसे पहले राजनांदगांव और फिर रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों के अनुसार, सुनने की क्षमता में सुधार में लंबा समय लग सकता है। घटना से आक्रोशित परिजनों ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी (क्चश्वह्र) बीरेंद्र कौर गरछा को लिखित शिकायत सौंपते हुए आरोपी शिक्षिका प्रियंका सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। बीईओ ने मामले की जांच कर उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है। वहीं, स्कूल प्रबंधन ने अब तक सिर्फ एक शो-कॉज नोटिस जारी कर अपने कर्तव्यों की इतिकर ली है। परिजन आरोप लगा रहे हैं कि विद्यालय प्रशासन गंभीर घटना को नजरअंदाज कर रहा है और न्याय की मांग करने पर टालमटोल कर रहा है।
बच्चों की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि एक नामचीन स्कूल में बच्चों की शारीरिक और मानसिक सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? क्या आज भी शारीरिक दंड शिक्षण का हिस्सा माना जाता है? जब माता-पिता बड़ी उम्मीदों के साथ अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, तो क्या फीस के बदले उन्हें अपमान, हिंसा या शारीरिक क्षति मिलनी चाहिए? यह घटना न सिर्फ एक छात्र की जिंदगी को प्रभावित कर गई है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर भी गहरे प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। क्या इस तरह की घटनाओं पर सिर्फ नोटिस थमाकर मामला रफा-दफा कर देना ही समाधान है?
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