
(दुर्ग) किसानों की समस्याओं पर एकजुटता का आह्वान, छत्तीसगढ़ किसान मितान महासंघ ने सरकार और प्रशासन को घेरा
- 14-Sep-25 03:45 AM
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दुर्ग, 14 सितंबर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ किसान मितान महासंघ ने प्रदेश में किसानों के साथ हो रहे अन्याय और अव्यवस्था के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि अब समय आ गया है जब किसान दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपनी उचित मांगों को लेकर एकजुट हों। महासंघ के अध्यक्ष कमलेश सिंह राजपूत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर किसानों की दुर्दशा और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि आज किसान छोटे-छोटे कार्यों के लिए राजस्व विभाग के दफ्तरों—अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक से लेकर पटवारी तक—के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। राज्य सरकार का दावा है कि सभी अभिलेख ऑनलाइन कर दिए गए हैं, जिससे किसानों को बार-बार राजस्व विभाग का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। ऑनलाइन व्यवस्था के कारण किसानों को पहले से कहीं ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है।
महासंघ ने बताया कि हजारों किसान मात्रात्मक त्रुटि सुधार, नामांतरण या अन्य सामान्य प्रक्रियाओं के लिए अनावश्यक रूप से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। यहां तक कि जिन किसानों की भूमि का प्रमाणीकरण कई वर्ष पहले पूरा हो चुका था और जिनकी भूमि पुस्तिका विधिवत प्रदाय हो गई थी, वह भूमि भी विभागीय त्रुटि के कारण ऑनलाइन रिकॉर्ड में विक्रेता के नाम पर दर्ज हो रही है। इस विसंगति को दूर करने के लिए तहसील स्तर पर फिर से प्रमाणीकरण की लंबी प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसमें तीन से चार महीने का समय लग जाता है। इस प्रक्रिया में किसानों को नोटिस प्रकाशन, विक्रेता को न्यायालय में उपस्थित करवाने जैसी जटिलताओं से गुजरना पड़ रहा है, जिससे किसान आर्थिक और मानसिक रूप से थक चुके हैं।
महासंघ ने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्व विभाग में क्रमबद्ध तरीके से कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार किया जा रहा है। पहले तहसीलदार, फिर पटवारी और अब राजस्व निरीक्षक तक कार्य से दूरी बना रहे हैं। इसके चलते जुलाई से अब तक सीमांकन, बटांकन और अन्य भूमि संबंधी कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
राजपूत ने बताया कि किसान नामांतरण, सीमांकन, बटांकन, डायवर्सन, त्रुटि सुधार, किसान किताब, प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने पर मुआवजा, भू-अर्जन, भारत माला परियोजना, गैस पाइपलाइन और हाई टेंशन लाइन के लिए भूमि अर्जन जैसी तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसके अलावा खाद-बीज की कमी, सिंचाई और विद्युत आपूर्ति व्यवस्था की बदहाली तथा मवेशियों की समस्या ने किसानों को चौतरफा संकट में डाल दिया है।
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