(देहरादून)निजी स्कूलों की मनमानी पर प्रशासन का डंडा: फीस लूट पर लगा ब्रेक, प्रेसिडेंसी स्कूल ने भरी ?5.72 लाख की पेनल्टी
- 01-Jun-25 12:00 AM
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देहरादून,01 जून (आरएनएस)। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों और जिलाधिकारी सविन बंसल की सख्त निगरानी में देहरादून जिला प्रशासन ने शिक्षा के नाम पर लूट मचाने वाले निजी स्कूलों की कमर तोड़ दी है। फीस वसूली में मनमानी करने वाले स्कूलों की अब एक-एक करके पोल खुल रही है और सबसे ताज़ा मामला सामने आया है – द प्रेसिडेंसी इंटरनेशनल स्कूल, भनियावाला का।फीस बढ़ोतरी पर प्रशासन का करारा प्रहारयह वही स्कूल है जिसके खिलाफ 100 से अधिक अभिभावकों ने मनमानी फीस वृद्धि की शिकायतें की थीं। जांच में सामने आया कि न केवल फीस बढ़ाई गई थी, बल्कि स्कूल का मान्यता नवीनीकरण तक लंबित था। प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए इस स्कूल पर ?5,72,000 की भारी-भरकम पेनल्टी ठोंक दी, जिसे अब स्कूल प्रबंधन ने चेक के माध्यम से जमा कर दिया है।प्रशासन की सख्ती का असर: स्कूल ने दी फीस घटाने की लिखित सहमतिपेनल्टी भरने के साथ ही स्कूल प्रबंधन ने अब जिला प्रशासन को लिखित रूप में फीस कम करने का पत्र सौंपा है। यह वही स्कूल था जो पहले बार-बार प्रशासन के बुलावे पर भी उपस्थित नहीं हुआ, लेकिन जब कागज़ों की पड़ताल हुई तो असलियत सामने आ गई। अब नतीजा ये है कि बड़े नाम वाले निजी स्कूल भी बैकफुट पर आते नजर आ रहे हैं।जिलाधिकारी सविन बंसल का निर्देश: लूट नहीं, पारदर्शिता चाहिएजिलाधिकारी सविन बंसल की अगुवाई में जिला प्रशासन द्वारा अपनाई गई जीरो टॉलरेंस नीतिÓ ने पूरे जिले में शिक्षा माफियाओं की चूलें हिला दी हैं। एक ओर जहां अभिभावक राहत की सांस ले रहे हैं, वहीं फीस वसूली के नाम पर लूट मचाने वाले स्कूलों को अब प्रशासन के डर से खुद ही झुकना पड़ रहा है।स्कूलों की लूट नहीं सहेंगे: शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनने देंगेशहर और कस्बों में चल रहे नामी-गिरामी स्कूल अब प्रशासन की सख्ती के आगे नतमस्तक होते नजर आ रहे हैं। फीस बढ़ोतरी के नाम पर वर्षों से चले आ रहे मुनाफाखोरी के खेल का अब पटाक्षेप होने लगा है। द प्रेसिडेंसी इंटरनेशनल स्कूल का मामला इस बात का सबूत है कि जब प्रशासन चाहे, तो शिक्षा के नाम पर हो रही लूट पर लगाम लगाई जा सकती है।सवाल :क्या अब शिक्षा के मंदिरों में फिर से नैतिकता की घंटी बजेगी?या अभी भी कुछ और नामी स्कूलों के चेहरों से पर्दा उठना बाकी है?जिला प्रशासन के इस साहसिक कदम की सराहना करता है और मांग करता है कि यह मुहिम केवल एक कार्रवाई तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे राज्य में शिक्षा को व्यापार बना चुके संस्थानों के खिलाफ लगातार जारी रहे।
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