(देहरादून)हिमालय में जलवायु परिवर्तन से बदला बारिश का मिजाज:प्रो. सती
- 15-Oct-23 12:00 AM
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देहरादून 15 अक्टूबर (आरएनएस)। हिमालयी क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन की वजह से प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला बढ़ा है। यहां बारिश का मिजाज बदला है। पश्चिमी विछोभ का असर मानसून व सर्दियों के साथ ही गर्मियों में भी नजर आ रहा है। ये मानना है उत्तराखंड यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री भरसार के पर्यावरण विभाग के प्रो.एसपी सती का। दून लाइब्रेरी में डॉ.एसके कुलश्रेष्ठ व डॉ.दिनेश प्रताप की स्मृति में जलवायु परिवर्तन के दौर में हिमालय विषय पर हुए व्याख्यान में प्रो.सती ने कहा कि हिमालय में काराकोरम के कुछ ग्लेशियर को लेकर 15 हजार में से अधिकांश ग्लेशयर तेज गति से पीछे हट रहे हैं। उच्च हिमालय क्षेत्र में बारिश का प्रवाह बाढ़ की वजह बन रहा है। केदार आपदा इसका उदाहरण है। हिमालयी क्षेत्र में बड़ी बांध परियोजनाओं से पिछले दो दशक में मौसम में काफी बदलाव आया है। ग्लेशयर के साथ मौजूद लूज मेटेरियल तीव्र ढलानों से जब बहकर आता है तो बाढ़ की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। इससे इन परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने दावा किया कि बड़े बड़े निर्माण कार्यों को बिना वैज्ञानिक जानकारी जुटाए किया जा रहा है। टिहरी डैम बनने के बाद की स्थिति पर भी अध्ययन की जरुरत बताई। उन्होंने पहाड़ों की जैव विविधता को पहुंच रहे नुकसान पर भी चिंता जताई। हिमालयी क्षेत्र के एक हजार कस्बे अपनी कैयरिंग कैपेसिटी से अधिक भार वहन कर रहे हैं। वहीं पहाड़, प्राकृतिक संसाधन व नागरिक विषय पर जेएनयू के रिटायर्ड प्रो. सच्चिदानंद सिन्हा ने भी व्याख्यान दिया। आयोजक दून साइंस फोरम, दिनेश प्रताप मेमोरियल ट्रस्ट, मधुर कुलश्रेष्ठ आदि रहे।
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