(देहरादून) आत्मदीप-2025 में संगीत, नृत्य, खेल, संस्कृति और संवाद का संगम

  • 11-Oct-25 12:00 AM

देहरादून, 11 अक्टूबर (आरएनएस)। डीबीएस (पीजी) कॉलेज देहरादून के भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) प्रकोष्ठ की ओर से इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड स्पिरिचुअलिटी, नई दिल्ली के सहयोग से एक भव्य युवा उत्सव आत्मदीप: 2025 का आयोजन किया गया। यह उत्सव संगीत, नृत्य, संवाद, खेल, विचार-सत्रों और संस्कृति का संगम था। जो इस वर्ष के विषय श्रीमद्भगवद्गीता पर केन्द्रित था। कार्यक्रम की शुरुआत आईकेएस प्रकोष्ठ के सांस्कृतिक समूह आनन्दनाद द्वारा प्रस्तुत मधुर श्लोकों और भजनों से हुई। जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक और शांति-मय बना दिया। कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य प्रो. गोरखनाथ ने सभी विशिष्ट अतिथियों एवं प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया। आईकेएस प्रकोष्ठ की समन्वयक एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. राजलक्ष्मी दत्ता ने आत्मदीप की अवधारणा को विस्तारपूर्वक समझाया और युवाओं को उनकी भाषाई, सांस्कृतिक एवं कलात्मक जड़ों से जोडऩे की आवश्यकता पर बल दिया। वंशिका द्वारा भरतनाट्यम और सौम्या तिवारी द्वारा कथक नृत्य, जिन्होंने भारतीय कला और भक्ति की भावनाओं को सुंदरता से अभिव्यक्त किया। मुख्य अतिथि हिज़ ग्रेस मन्वंतर प्रभु (आईआईटी पूर्व छात्र) ने मेंटल कुरुक्षेत्र टू मेंटल डिसिपिलिन विषय पर प्रेरणादायक व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने आधुनिक युवाओं के मानसिक संघर्षों की तुलना गीता के युद्धक्षेत्र से करते हुए गीता के उपदेशों को अत्यंत प्रासंगिक बताया। विशिष्ट अतिथि प्राचार्य एसजीआरआर संस्कृत महाविद्यालय डॉ. रामभूषण बिजलवान ने युवा जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता की भूमिका विषय पर अपना सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के अर्जुन की तुलना भारत के युवा वर्ग से करते हुए गीता के उपदेशों को उनके जीवन में लागू करने की प्रेरणा दी। डीडी कॉलेज के योग विभाग प्रमुख डॉ. मीनाक्षी कोठारी ने अपनी भावपूर्ण श्लोक एवं स्तोत्र प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उत्सव परिसर में विभिन्न रोचक खेलों और पारंपरिक, पर्यावरण-मित्र स्टॉलों ने छात्रों का ध्यान आकर्षित किया। खादी ग्रामोद्योग संस्थान तथा भावना टेम्पल फ्लावर्स के स्टॉलों ने सतत् जीवनशैली और भारतीय परंपरा को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजलक्ष्मी दत्ता और डॉ. चेतना बिष्ट के संयोजन में हुआ। डॉ. अनुपमा त्रिपाठी (संगठन सचिव) ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और स्वयंसेवकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। डॉ. शैली और डॉ. विन्देश द्विवेदी सह-संगठन सचिव रहे। पूरे कार्यक्रम का संयोजन एवं मंच संचालन रिया चमोला ने किया। श्रीमद्भगवद्गीता प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया था, जिसके अंतर्गत 30 सफल प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।




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