(धमतरी )हिन्दी की सरलता और व्यापक स्वीकार्य,शासन की योजनाओं और सेवाओं को सरलता से पहुँचाने में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही

  • 15-Sep-25 12:49 PM

    
     

धमतरी  15 सितंबर (आरएनएस)।  भारत की विविधता में एकता का सबसे बड़ा आधार उसकी भाषाई संस्कृति है। हमारे देश में सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ प्रचलित हैं, किन्तु हिन्दी ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया है। आज 14 सितम्बर, हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें यह स्मरण करना आवश्यक है कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।धमतरी जिले सहित सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में जनमानस प्राय: क्षेत्रीय बोलियों जैसे छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोंडी आदि के माध्यम से संवाद करता है। किंतु जब शासकीय कार्य, शैक्षणिक क्षेत्र अथवा व्यापक सामाजिक संपर्क की बात आती है, तो हिन्दी सबको जोडऩे वाली कड़ी बन जाती है। यही कारण है कि राज्य शासन और जिला प्रशासन का अधिकांश कामकाज हिन्दी भाषा में ही संपन्न होता है। हिन्दी की यह प्रशासनिक भूमिका जनसाधारण तक शासन की योजनाओं और सेवाओं को सरलता से पहुँचाने में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है।
 छत्तीसगढ़ की भौगोलिक सीमाएँ बस्तर से लेकर सरगुजा तक विस्तृत हैं, और इन क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाएँ व बोलियाँ प्रचलन में हैं। ऐसे विविध वातावरण में हिन्दी संवाद का सेतु बनकर कार्य करती है। यही नहीं, हिन्दी के माध्यम से राज्य की संस्कृति, साहित्य और सामाजिक जीवन को भी व्यापक मंच प्राप्त होता है। जन-जन तक पहुँचने की क्षमता के कारण हिन्दी ने प्रशासनिक पारदर्शिता और सुशासन को भी सुदृढ़ किया है।
 हिन्दी की महानता उसकी सरलता, सहजता और व्यापक स्वीकार्यता में निहित है। यह भाषा न केवल भारत के विभिन्न राज्यों को जोड़ती है, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय समुदाय को भी अपनी मातृभूमि से आत्मीयता का अनुभव कराती है। वैश्विक स्तर पर भी हिन्दी का महत्व निरंतर बढ़ रहा है। विज्ञान, तकनीक, व्यापार और संचार के क्षेत्र में हिन्दी का उपयोग व्यापक हो रहा है, जो इसे आधुनिक युग में और अधिक प्रासंगिक बना रहा है।
आज आवश्यकता इस बात की है कि हम हिन्दी के गौरव को केवल उत्सव तक सीमित न रखें, बल्कि इसे जीवनचर्या में व्यवहारगत रूप से अपनाएँ। विद्यालयों और महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को हिन्दी लेखन, वाचन और अभिव्यक्ति के अवसर अधिक से अधिक उपलब्ध कराना चाहिए। प्रशासनिक तंत्र में भी हिन्दी के प्रयोग को और सशक्त करना आवश्यक है।
हिन्दी दिवस केवल एक स्मरण मात्र नहीं है, यह हमें हमारी जड़ों से जुड़े रहने और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करता है। धमतरी जिले के नागरिकों की हिन्दी के प्रति आत्मीयता और गर्व इस बात का प्रमाण है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति, समाज और राष्ट्र की आत्मा होती है।
मालूम हो कि संविधान सभा ने लिया था ऐतिहासिक फैसला भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के सामने एक बहुत बड़ा सवाल था - राष्ट्रभाषा का। एक ऐसी भाषा की जरूरत थी जो पूरे देश को एक सूत्र में बांध सके। हिंदी, जिसे एक विशाल जनसंख्या द्वारा बोला और समझा जाता था, इस पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार थी।
इसी कड़ी में, 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया। इस दिन, संविधान के निर्माताओं ने अनुच्छेद 343 के तहत यह तय किया कि देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा होगी। इस फैसले ने हिंदी को देश की पहचान और प्रशासनिक कार्यों का केंद्र बिंदु बना दिया।
इसी फैसले के कारण देश में पहली बार 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की और तब से लेकर आज तक यह सिलसिला जारी है।
कहा जा सकता है कि हिन्दी हमारी पहचान, हमारी धरोहर और हमारी एकता की सबसे मजबूत डोर है। इसके माध्यम से ही हम भारतीयता के उस मूल भाव को जीवित रख सकते हैं, जो हमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का गर्व प्रदान करता है। हिन्दी दिवस पर यही संकल्प होना चाहिए कि हम हिन्दी के प्रचार-प्रसार और उसके सम्मान को सदैव सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे
विशेष लेख: शशिरत्न पाराशर, उप संचालक, जनसंपर्क




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