(धार)मप्र के प्राध्यापक को मिला जर्मनी में शोध का अवसर
- 16-Oct-25 12:00 AM
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धार 16 अक्टूबर (आरएनएस)।मध्यप्रदेश के धार जिले के महाराजा भोज शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सागर सेन और उनके शोधार्थी विनय श्रीवास्तव को जर्मनी के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान ष्ठश्वस्ङ्घ (ष्ठद्गह्वह्लह्यष्द्धद्गह्य श्वद्यद्गद्मह्लह्म्शठ्ठद्गठ्ठ-स्4ठ्ठष्द्धह्म्शह्लह्म्शठ्ठ), हैम्बर्ग में स्द्वड्डद्यद्य ्रठ्ठद्दद्यद्ग ङ्ग-ह्म्ड्ड4 स्ष्ड्डह्लह्लद्गह्म्द्बठ्ठद्द (स््रङ्गस्) प्रयोग करने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह प्रयोग 19 से 25 अक्टूबर 2025 के मध्य ष्ठश्वस्ङ्घ, हैम्बर्ग (जर्मनी) में किया जाएगा।डॉ. सेन के अनुसार इस तकनीक के माध्यम से वे नैनोस्ट्रक्चर्ड पतली परतों (ठ्ठड्डठ्ठशह्यह्लह्म्ह्वष्ह्लह्वह्म्द्गस्र ह्लद्धद्बठ्ठ द्घद्बद्यद्वह्य) की सतही संरचना और इलेक्ट्रॉनिक गुणों का अध्ययन करेंगे। इस प्रकार का अध्ययन स्पिन्ट्रॉनिक्स (स्श्चद्बठ्ठह्लह्म्शठ्ठद्बष्ह्य), ऊर्जा संचयन उपकरणों (बैटरी, कैपेसिटर), बायोटेक्नोलॉजी और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस के विकास में सहायक होता है। स््रङ्गस् तकनीक एक अत्याधुनिक वैज्ञानिक विधि है, जिसमें पदार्थ पर छोटे कोण पर ङ्ग-ह्म्ड्ड4 किरणें डाली जाती हैं और उनके प्रकीर्णन (ह्यष्ड्डह्लह्लद्गह्म्द्बठ्ठद्द) का अध्ययन किया जाता है। इस तकनीक से पदार्थ की नैनोस्तरीय संरचना, कणों का आकार, वितरण, सतह की खुरदरापन तथा सूक्ष्म छिद्रों (श्चशह्म्द्गह्य) की जानकारी प्राप्त होती है। सरल शब्दों में यह तकनीक पदार्थ के भीतर की नैनो दुनिया की तस्वीर लेने जैसी है।यह परियोजना भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (ष्ठस्ञ्ज) द्वारा वित्तपोषित है। इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगों के लिए चयन अत्यंत प्रतिस्पर्धात्मक होता है, जिसमें विश्वभर के वैज्ञानिक भाग लेते हैं। केवल उच्चस्तरीय शोध प्रस्तावों और सक्षम शोधकर्ताओं को ही ष्ठश्वस्ङ्घ जैसी विश्वप्रसिद्ध प्रयोगशालाओं में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है। शोधार्थी विनय श्रीवास्तव, जो ढ्ढ्रष्ट परियोजना के अंतर्गत कार्यरत हैं, इस प्रयोग में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व डॉ. सागर सेन ग्रीस और पोलैंड में भी नैनोटेक्नोलॉजी पर अपने व्याख्यान (द्यद्गष्ह्लह्वह्म्द्गह्य) दे चुके हैं। वर्तमान में डॉ. सागर सेन तीन प्रमुख शोध परियोजनाओं पर कार्यरत हैं, जिनमें से दो परियोजनाएँ मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (रूक्कष्टस्ञ्ज), भोपाल तथा इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (ढ्ढ्रष्ट), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है। इन परियोजनाओं का फोकस नैनो संरचना, चुंबकीय पतली परतों (द्वड्डद्दठ्ठद्गह्लद्बष् ह्लद्धद्बठ्ठ द्घद्बद्यद्वह्य) एवं आयन बीम विकिरण (द्बशठ्ठ ड्ढद्गड्डद्व द्बह्म्ह्म्ड्डस्रद्बड्डह्लद्बशठ्ठ) के माध्यम से सामग्री के गुणों के नियंत्रण पर केंद्रित है।
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