
(नगरी) कौमी एकता का प्रतीक नव आनंद कला मंदिर नगरी
- 21-Sep-25 09:09 AM
- 0
- 0
नगरी, 21 सितबंर (आरएनएस)। कौमी एकता का प्रतीक नवआनंद कला मंदिर नगरी के तत्वाधान में प्रतिवर्षानुसार नगर स्तरीय नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव का आयोजन धूमधाम से किया जाता है। इस वर्ष समिति का यह 74 वां आयोजन है। समिति के सहभागी समिति श्री राम नव युवक परिषद नगरी के महासचिव नरेश छेदैहा ने बताया कि माता रानी का आकर्षक व अद्भुत पंडाल सजाकर आयोजित होने वाले इस आयोजन के प्रति लोगों में गजब का उत्साह रहता है। इसे सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं। इस कारण इस आयोजन का विशेष महत्व होता है। इसे नगरी की कौमी एकता और भाईचारे के मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया जाता है ?। इसका शुभारंभ माता रानी की भव्य विशाल शोभा यात्रा के साथ होता है। शोभा यात्रा नगर पंचायत नगरी से जन प्रतिनिधियों के द्वारा पुजा अर्चना के पश्चात निकलती है। इस अवसर पर नई बस्ती सेवा दल नगरी और पुरानी बस्ती सेवा दल नगरी के भक्तों द्वारा सुर, ताल, ढोल, मंजीरे के बीच जस गीत के माध्यम से माता रानी की महिमा का अद्भुत रचना किया जाता है। शोभा यात्रा का नजारा अद्भुत आकर्षण और विहंगम होता है । इसमें महिलाएं कलश धारण कर अपनी अटूट सहभागिता प्रदान करती है। शोभा यात्रा में डीजे की भी व्यवस्था होती है। नगर के सभी इसमें शामिल होकर भाईचारे का समागम का रूप देते हैं? नवरात्रि में नगरी के गांधी चौक, राजा बाड़ा पर प्रतिमा स्थापना के साथ 9 दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस दिन किसी वार्ड या मोहल्ले में कोई भी सार्वजनिक आयोजन नहीं होता। प्रतिदिन नई बस्ती सेवादल और पुरानी बस्ती सेवादल के द्वारा ढोल मंजीरा की करताल ध्वनि के बीच मधुर जस गीत के माध्यम से माता रानी की अद्भुत रचना किया जाता है ।इस पावन मौके पर कार्यक्रम स्थल पर स्थित ज्योति कक्ष में मनोकामना ज्योति प्रज्वलित किए जाते हैं। प्रतिदिन माता रानी का वृहद रूप में पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के इस वृहद आयोजन में समिति के सहभागी समिति श्री राम नव परिषद नगरी की सभी 14 रामायण मंडलीयां बढ़ चढ़कर भाग लेती है। इस महती आयोजन को व्यावसायी वर्ग, कर्मचारी वर्ग, पुलिस प्रशासन का भरपूर सहयोग रहता है ।इस आयोजन का लोग साल भर बेसब्री से प्रतीक्षा किया करते हैं। नव आनंद कला मंदिर नगरी को पूरे इलाके में अनुकरणीय व आदर्श समिति के रुप देखा जाता है। समिति के अध्यक्ष मोरध्वज पटेल, अनिल वाधवानी,सह कोषाध्यक्ष मिश्री तातेड़ ,सचिव दीपेश निषाद, उपाध्यक्ष अशोक पटेल, सुरेश साहू रवेंद्र साहु, शंकर देव, देवीचरण ध्रूव, ,विकास सोनी,संकेत चौहान ,अश्वनी निषाद, देवेंद्र साहू, सहसचिव अशोक पटेल, सुरेश साहु एवं समिति के समस्त प्रभाग आयोजन की तैयारी में जुटे हैं।
बिनवा छेना का उपयोग
नगरी में मनाये जाने वाले नवरात्रि महोत्सव के पावन अवसर पर माता रानी की पूजा में आहुति के लिए बिनवा छेना का उपयोग किया जाता है ।दशांग धुप की आहुति के लिए बिनवा छेना में आग प्रज्वलित किया जाता है। बिनवा छेना अर्थात प्राकृतिक रूप से बना हुआ कण्डा है। बिनवा छेना को सरल रूप से जाने तो इसका अर्थ यह है कि खेत खलिहान में गोबर पड़े पड़े सूख जाते हैं ।गोबर के इसी सूखे हुए रूप को बिन लिया जाता है अर्थात उठा लिया जाता है बिनने के कारण ही इसे बिनवा छेना कहा जाता है। यह परंपरा 2025 की स्थिति में 74 साल पुरानी है जो आज भी कायम है।
नगरी का हवन यज्ञ होता है विशेष
नवरात्रि में गांधी चौक राजा बाड़ा में 12:00 बजे से नवरात्रि का हवन प्रारंभ होता है ।दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों के साथ विशेष पूजा बीज मंत्रों के दिव्या उच्चारण ,विशेष नर्वाण मंत्रोपचार के साथ जंगल से संकलित अनेक प्रकार की ताजी जड़ी बूटियां वाली आहुति और महा आहुति के साथ हवन यज्ञ संपन्न होता है इसके लिए आकर्षक हवन कुंड तैयार किया जाता है इस हवन यज्ञ में नवरात्रि में व्रत रखने वाली माताएं बहने पुरुष वर्ग भाग लेते हैं।
०००
Related Articles
Comments
- No Comments...