
(नगरी) शीतला शक्ति पीठ में ज्योत ज्वारा का विसर्जन हुआ
- 01-Oct-25 11:11 AM
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0 शोभायात्रा मे देव विग्रह झूमते रहे
नगरी, 01 अक्टूबर (आरएनएस)। शीतला शक्ति पीठ सिहावा में शारदीय नवरात्रि में ज्योत ज्वारा विसर्जन परम्परानुसार किया गया।इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ रही।महा नवमी की प्रात: सरोवर स्न्नान के लिये शोभा यात्रा प्रारंभ हुआ जो शीतला तालाब में ,पहुँच कर ज्वारा विसर्जित की गई। ऋषि पंचमी सेवा मण्डली गणेश घाट सिहावा द्वारा गाये जा रहे माता सेवा के साथ गढ़ की देवी देवताये अपने पूरे स्वरूप में डांग ,बाना आदि लिये हुए विसर्जन शोभायात्रा में झूमते रहे।माता तालाब मे विधि विधान से विसर्जन उपरांत श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किये गए।नवमी के अवसर पर माता का विशेष श्रृंगार कर पूजा अर्चना किया गया

।फिर माता को भोग लगाकर भण्डारा प्रारम्भ की गई।भण्डारा गोल्डी चोपड़ा व परिवार बेलरगांव द्वारा की गई।समिति के अध्यक्ष कैलाश पवार ने शारदीय नवरात्रि पर्व पर मिले सहयोग के लिये सभी का आभार माना।प्रमुख संचालक कलम सिंह पवार, महासचिव नेम सिंह बिशेन,सह सचिव नरेंद्र नाग,नारद निषाद,बुधेस्वर साहू,कोशाध्यक्ष गेंद लाल यादव, तुकाराम साहू, ,पुजारी ज्ञान सागर पटेल,तुका सिंह बेश,बलदेव निषाद,राजकुमार निषाद,दीपक तंवर,छबि ठाकुर, संजय सारथीं,रामलाल नेताम,प्रवीण गुप्ता,गगन नाहटा,भरत निर्मलकर,महेंद्र कौशल,कुँवर साहू,मंशा राम गौर,जग्गू साहू,,नरेश पटेल ,महेश साहू,लाल जी साहू,संतोष पवार,ललित निर्मलकर,सुभाष यादव,महेंद्र साहू ,अभय नेताम , खिऱभान शाण्डिल्य,नवल साहू,दिनेश पटेल,बैजनाथ पटेल,बाल सिंह शोरी,मंशा गौर,तुलसी कुंजाम,सुंदरियां साहू,चरणबति नेताम,मेहत्तर गौर, बुध्दू सोम, सुमेरु शांडिल्य,पुरन बिसेन, राम प्रसाद नेताम, कमलेश निषाद, हेमलाल ध्रुव, चंद्रभान निषाद, रोहित साहू, बिष्णु साहू, चैन सिंह मरकाम, शंकर पटेल,चंदन देवांगन, शशिकला शांडिल्य,देवन्तीन श्रीमाली,रीना बिसेन,परमीला साहू,नंदबाई पटेल खेमिन यादव,गायत्री पटेल,गोमती निषाद,नोहर साहू,अभिलाषा शाण्डिल्य, बिन्दा मरकाम आदि की भूमिका रही। एकादशी पर होगा सहस्त्रबाहु रावण का वध
सिहावा गढ़ के छिपली पारा में दशहरा अनोखी परम्परा से मनाया जाता है।यहाँ रावण का नही अपितु सहस्त्रबाहु रावण का वध होता है।मिट्टी का नग्न पुतला बनाया जाता है जिसे एकादशी के दिन मां शीतला के खड्ग से प्रमुख पुजारी द्वारा वध किया जाता।यह सिहावा गढ़ की प्राचीन परम्परा है जिसमे महिलाओं का जाना वर्जित होता है।
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