(प्रयागराज)ईएएस करेगा डॉ अजय सोनकर के शोध का प्रसार
- 01-Oct-25 12:00 AM
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गंगा से महासागर तक: डॉ. अजय सोनकर का वैश्विक वैज्ञानिक प्रभाववैलेंसिया, स्पेन / प्रयागराज 1 अक्टूबर (आरएनएस )। प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर सतत् विज्ञान के क्षेत्र में विश्व की अग्रणी आवाज़ के रूप में उभरे हैं। उन्होंने अपने क्रांतिकारी अनुसंधान और दूरदर्शी योगदानों से सामुद्रिक जलीय कृषि और पर्यावरणीय सूक्ष्मजीव विज्ञान दोनों क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त की है।यूरोपियन एक्वाकल्चर सोसाइटी द्वारा आयोजित सम्मेलन में, डॉ. सोनकर ने अपना महत्वपूर्ण शोधपत्र प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था, मोती के सीपों में शल्य-क्रिया उपरांत उपचार हेतु प्राकृतिक समुद्री बैक्टीरियोफेज का उपयोग: एंटीबायोटिक्स से सतत बदलाव। उनकी इस खोज, कि प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरियोफेज मोती की सीपों की जलीय कृषि में एंटीबायोटिक का पूर्णत: विकल्प बन सकते हैं, को प्रतिजैविक प्रतिरोध जैसी विश्वव्यापी गंभीर समस्या के समाधान के रूप में सराहा गया।एफएएस के कार्यकारी निदेशक एलिस्टेयर लेन ने एक आधिकारिक पत्र में डॉ. सोनकर की खोज को बहुत ही ताजग़ी भरी और अत्यंत रोचक प्रस्तुति बताते हुए लिखा कि यह प्रमाणित करता है कि एंटीबायोटिक संकट का समाधान स्वयं प्रकृति के पास है। यूरोपियन एक्वाकल्चर सोसाइटी ने उनके शोध को आगे प्रसारित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
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