(प्रयागराज)डॉ रामकुमार वर्मा पर शोध की अनेक संभावनाएं- डॉ भूरे लाल
- 01-Oct-24 12:00 AM
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इविवि में डॉ रामकुमार वर्मा स्मृति व्याख्यान का आयोजनप्रयागराज 1 अक्टूबर (आरएनएस)। डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आज डॉ रामकुमार वर्मा स्मृति व्याख्यान हिंदी विभाग प्रयाग विश्वविद्यालय के डॉ धीरेंद्र वर्मा सभागार में संपन्न हुआ कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ भूरे लाल ने की। उन्होंने कहा की डॉ रामकुमार वर्मा पर शोध की अनेक संभावनाएं हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ राजेंद्र कुमार ने डॉ रामकुमार वमार्: साहित्य का त्रिविधायी व्यक्तित्वÓ विषय पर कहा कि डॉ रामकुमार वर्मा प्रसिद्ध कवि नाटककार समालोचक एवं आधुनिक हिंदी एकांकी नाटक के प्रवर्तन साहित्यकार के रूप में स्वीकार किए जाते हैं। उनका सारा जीवन हिंदी भाषा और साहित्य को समर्पित रहा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पठन-पाठन एवं अनेकों वर्षों तक अध्यापन कार्य किया। उन्होंने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में अनेक बहुमूल्य कृतियों का सृजन किया है। डॉ वर्मा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अतिरिक्त रूस, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों में भी हिंदी भाषा का अध्यापन किया और विभिन्न भारतीय भाषाओं के पाठ्यक्रम भी निर्धारित किये। डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ राजलक्ष्मी वर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज वर्मा जी की कर्मभूमि रही है। यही उनका निजी निवास भवन है जिसका नाम साकेत है। वर्मा जी की पूर्ण स्मृति में उनके कुछ शिष्यों के आग्रह पर उन्होंने डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट नामक संस्था बनायी जो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। यह ट्रस्ट अत्यंत निष्ठा पूर्वक समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य करता है।कार्यक्रम के आरंभ में हिंदी विभाग की प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ लालसा यादव ने अतिथियों का स्वागत किया एवं अतिथियों ने डॉ रामकुमार वर्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट की कार्यक्रम समन्वयक डॉ शान्ति चौधरी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो बृजेश कुमार पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में प्रो सुनील विक्रम सिंह, प्रो कुमार बीरेंद्र, प्रो संतोष भदौरिया, प्रो सूर्य नारायण सिंह, प्रो चंदा देवी, प्रो मीता बनर्जी, प्रो अमरेंद्र त्रिपाठी, डॉ विनम्र सेन सिंह, डॉ सुजीत सिंह, प्रो योगेंद्र सिंह, डॉ भरत कुमार समेत हिंदी विभाग के विद्यार्थी एवं शोधार्थी,शिक्षक भारी संख्या में उपस्थित रहे।
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