(प्रयागराज)पांच दिवसीय काली स्वांग की भव्य शुरुआत
- 25-Sep-25 12:00 AM
- 0
- 0
दारागंज में एक अनूठी परंपरा, उमड़ रही भारी भीड़ प्रयागराज 25 सितंबर (आरएनएस)। प्रयागराज के दारागंज में सोमवार से पांच दिवसीय काली स्वांग की भव्य शुरुआत हो चुकी है। जिसने पूरे क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल को जीवंत कर दिया है। खास बात यह है कि काली स्वांग के साथ ही प्रसिद्ध दारागंज रामलीला का भी शुभारंभ हो गया है, जिससे भक्तों और दर्शकों का उत्साह चरम पर है। काली स्वांग, प्रयागराज की एक अनूठी परंपरा है, जो नवरात्र के दौरान विशेष आकर्षण का केंद्र होती है। इस स्वांग में कलाकार मां काली के भव्य वेश में सजकर सड़कों पर निकलते हैं और देवी के रौद्र रूप का प्रदर्शन करते हैं। हाथों में खप्पर, गले में खोपडिय़ों की माला और भुजाली लिए मां काली की वेशभूषा में सजे कलाकार जब तांडव नृत्य करते हैं, तो पूरा इलाका भक्तिमय हो उठता है। मान्यता है कि इस रूप का दर्शन करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। दारागंज के रहने वाले विनोद तिवारी बताते हैं कि दारागंज का काली स्वांग लोकनाट्य परंपरा स्वांग का ही एक विशिष्ट स्वरूप है, जिसकी जड़ें सदियों पुरानी हैं।यहाँ पर नवरात्रि के दौरान यह परंपरा जीवंत होती है और हर साल हजारों लोग इसे देखने दूसरे प्रदेशों से भी आते हैं। यह स्वांग पाँच दिनों तक अलग-अलग मोहल्लों और चौक-चौराहों पर प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें रातभर भक्तिमय माहौल के बीच देवी गीत, भजन और नाटकीय प्रस्तुतियाँ होती हैं। इसी के साथ दारागंज की रामलीला भी शुरू हो गई है, जो दशहरे तक चलेगी। इसमें भगवान राम की लीला, रावण वध और अयोध्या विजय के प्रसंग मंचित किए जाते है। काली स्वांग और रामलीला का संगम दारागंज को धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना देता है। लोग मानते हैं कि काली स्वांग और रामलीला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। इस दौरान दारागंज की गलियां रोशनी, भजन-कीर्तन और श्रद्धालुओं की भीड़ से जगमगा उठती हैं। काली स्वांग की यह परंपरा प्रयागराज की आस्था, लोकसंस्कृति और उत्सवधर्मिता का सजीव प्रतीक है।
Related Articles
Comments
- No Comments...