(प्रयागराज)ब्रह्मचारी जी द्वारा लिखित साहित्य का हो व्यापक प्रसार- राघवाचार्य

  • 13-Oct-25 12:00 AM

व्यासावतार श्री प्रभुदत्त ब्रम्हचारी जी महाराज की 136वीं जयंती का आयोजन प्रयागराज 13 अक्टूबर (आरएनएस)। श्री संकीर्तन भवन धार्मिक न्यास (ट्रस्ट) के प्रतिस्थापक व्यासावतार श्री प्रभुदत्त ब्रम्हचारी जी महाराज की 136वीं जयंती के अवसर पर ज्योतिष पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु शंकराचार्य श्री वासुदेवानंद जी महाराज श्री की अध्यक्षता में एवं श्री राम लाल ट्रस्ट अयोध्या के परम अध्यक्ष जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री राघवाचार्य जी महाराज के सानिध्य में एवं विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक बड़े दिनेश जी की उपस्थिति में धर्म सम्राट श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी महाराज की पावन जयंती एवं उनके अवतरण दिवस पर अनेक माध्यमों से आए हुए सभी ने अपना-अपना पक्ष रखा।राघवाचार्य जी अयोध्या ने कहा कि पूज्य ब्रह्मचारी जी महाराज के प्रति वास्तविक श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनके द्वारा लिखित विपुल साहित्य का घर-घर प्रचार एवं प्रकाश किया जाए जिससे जन-जन में देश के कोने-कोने में सभी पूज्य ब्रह्मचारी जी से कृतित्व एवं उनके मानदंडों को जान सके।अपने उद्बोधन में जगतगुरु शंकराचार्य श्री वासुदेवानंद जी महाराज ने कहा कि पूज्य ब्रह्मचारी जी महाराज इस प्रयाग के अद्भुत संत थे। इतना ही नहीं वह प्रयाग के आधुनिक भारद्वाज के रूप में प्रयाग की प्रतिष्ठा को हमेशा बढ़ाते रहे हैं एवं हर प्रकार से पूरे प्रयाग की अपने व्यक्तित्व के माध्यम से लोगों को सेवा के प्रति जागरूक किया। विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक बड़े दिनेश जी अपने उद्बोधन में कहा कि पूज्य ब्रह्मचारी जी महाराज की ही देन है कि आज उनके आशीर्वाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व हिंदू परिषद एवं भारतीय जनता पार्टी पुष्पित पल्लवित हो रही है।इसी क्रम में पूज्य ब्रह्मचारी जी महाराज के शिष्य परम कृपा पात्र श्री स्वामी दयानंद जी महाराज ने आए हुए सभी संत का आभार प्रकट किया।इस सभा का संचालन डॉ सियाराम त्रिपाठी ने किया एवं इस सभा में गौरव मई उपस्थित देने वालों में लखनऊ से डॉक्टर डी डी मुद्गल, महापौर गणेश केसरवानी, जगतगुरु सुदर्शनाचार्य जी महाराज, महामंडलेश्वर अरुण दास जी महाराज हरिद्वार, रामदेव जी महाराज, योगीराज रामदेव जी महाराज, ब्रह्म ऋषि श्रीनाथजी महाराज, घनश्याम दास जी महाराज,परशुराम अखाड़ा के सुदर्शन जी महाराज, डॉक्टर विद्याधर ने पूज्य महाराज श्री के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर अपने-अपने भाव प्रकट किए।




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