(प्रयागराज)भारतीय लोक संस्कृति गंगा की धारा के समान? पावन- प्रो सत्यकाम

  • 06-Oct-25 12:00 AM

लोक गीत–नृत्य और ग्रामीण परंपरा के अद्भुत संगम से सुशोभित हो उठा प्रयाग संगीत समितिप्रयागराज 6 अक्टूबर (आरएनएस)। लोक रंग, माटी के संग की भावना को आज के सामाजिक परिवेश में और भी ज्यादा सार्थक बनाने के लिए आज प्रयाग संगीत समिति में लोक संस्कृति उत्सव का दूसरा दिन उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। साथ ही भारतीय लोक संस्कृति की समृद्ध परंपरा एवं नवाचार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरा दिन सफल रहा।संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सत्यकाम ने कहा कि भारतीय लोक संस्कृति गंगा की धारा के समान? पावन और निरंतर है। नवाचार इसकी जीवंतता की वह कड़ी है, जिससे इसे और ज़्यादा बल मिलेगा। साथ ही संगोष्ठी के दौरान प्रो प्रेम कुमार मल्लिक, उर्मिला शर्मा, अभिलाष नारायण बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल रहे और डॉ आकांक्षा पाल, डॉ दीनानाथ मौर्या, प्रो राजेश वर्मा ने क्रमश: तीन सत्रों में सत्र समन्वयक की भूमिका निभाई। आनंद वर्धन शुक्ल, डॉ महेश सिंह, इष्टदेव, प्रो संजय, डॉ अभिजीत दीक्षित, प्रो कल्पना दुबे, प्रो अनीता गोपेश, लोकेश शुक्ला, डॉ रक्षा सिंह और डॉ विशाल जैन ने संगोष्ठी में अहम भूमिका में रहे।संध्या प्रस्तुति में मन्नू यादव ने *बिरहा* गायन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। पद्म श्री से सम्मानित विदुषी उर्मिला श्रीवास्तव के गायन पर सभागार तालियों की गडग़ड़ाहट से गुंजायमान हो उठा। तत्पश्चात अतुल यदुवंशी के नेतृत्व में नौटंकी बहुरुपिया देख आगंतुकों के बीच उर्जा का संचार हो उठा।इस कार्यक्रम के दौरान श्रीमती मधु शुक्ला, डॉ मृत्युंजय राव परमार, श्रेयश शुक्ला, शांभवी शुक्ला आदि मौजूद रहे।बाक्स आज का कार्यक्रमप्रयागराज। कल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ़ मीडिया स्टडीज के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ धनंजय चोपड़ा विशेष कथा कथन करेंगे। साथ ही श्री फ़ौजदार सिंह आल्हा की प्रस्तुति करेंगे और कवि सम्मेलन में नीलोत्पल मृणाल, शिवम् भगवती जैसे दिग्गज समां बांधेंगे।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment