(प्रयागराज)विक्रय अनुबंध के आधार पर भूमि अधिग्रहण मुआवजे पर दावा नहीं किया जा सकता
- 06-Oct-25 12:00 AM
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प्रयागराज 6 अक्टूबर (आरएनएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि विक्रय अनुबंध (एग्रीमेंट टू सेल) के आधार पर कोई भी व्यक्ति भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकता। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने विक्रय अनुबंध के आधार पर अधिग्रहीत जमीन पर मुआवजा की मांग करते हुए दाखिल याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की एकल पीठ ने हामिद और 9 अन्य की याचिका पर दिया है।मेरठ के गांव बिजौली में खसरा संख्या 346 और 426 जमीन का विक्रय अनुबंध याचियों ने जमीन के मालिकों से किया था। इस बीच उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण कर लिया। भूमि मालिकों ने मुआवजे के प्राधिकरण के समक्ष आवेदन किया। इसपर याचियों ने आपत्ति की। उनका कहना था कि उनके पास भूमि के संबंध में बिक्री अनुबंध हैं। इसका पालन न करने पर उन्होंने सिविल वाद दायर किए हैं। प्राधिकरण ने 5 जुलाई 2025 को याचियों की आपत्तियों खारिज कर दिया। कहा कि याची भूमि के मालिक नहीं हैं। इसलिए वह मुआवजे के हकदार नहीं हैं। इस आदेश को याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।याची अधिवक्ता ने दलील दी कि बिक्री समझौते से याची के पक्ष में भूमि में एक हित पैदा होता है। उन्होंने सिविल वाद दायर कर रखा है। इसलिए वह मुआवजे के हकदार हैं। वहीं, प्रतिवादियों के अधिवक्ता ने दलील दी कि मात्र बिक्री अनुबंध से जमीन पर स्वामित्व प्राप्त नहीं हो जाता है। कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि बिक्री अनुबंध जमीन पर कोई अधिकार, स्वामित्व या हित प्रदान नहीं करता है। याची भूमि के मालिक नहीं हैं। याची विक्रय अनुबंध टूटने के संबंध में हर्जाना के लिए सिविल वाद दायर कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनव्र्यवस्थापन प्राधिकरण के आदेश में कोई अवैधता नहीं पाई और याचिका खारिज कर दी।
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