(प्रयागराज)हंसा यह पिंजरा नहि तेरा- संत देवेंद्र दास

  • 04-Apr-25 12:00 AM

हिंदी के विकास में संतों, योगियों, भक्तों, मठों एवं सामाजिक संस्थाओं की भूमिका विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित प्रयागराज 4 अप्रैल (आरएनएस )। भारतीय हिंदी परिषद्, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं हिन्दुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वाधान में 3-4 अप्रैल को हिंदी के विकास में संतों, योगियों, भक्तों, मठों एवं सामाजिक संस्थाओं की भूमिका विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन की शुरुआत शोधार्थियों के शोध पत्र वचन से हुई। द्वितीय सत्र के आयोजन के साथ संगोष्ठी जयराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में कुशलता पूर्वक प्रारम्भ होता है, जिसका संचालन अरुण कुमार वर्मा ने किया और विधार्थियों द्वारा हिंदी के विकास की उन्नति मे संतो, योगियों, मठों एवं सामाजिक संस्थाओं की भूमिका पर पत्र- वाचन प्रस्तुत किया गया।संगोष्ठी के मुख्य सत्र का संचालन डॉक्टर जयराम त्रिपाठी ने किया व मुख्य अतिथि के रूप मे संत देवेंद्र दास, कबीर मठ, विशिष्ट अतिथि के रूप मे प्रोफेसर राजनारायण शुक्ल सदस्य उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग, भारतीय हिंदी परिषद के सभापति प्रोफेसर पवन अग्रवाल व प्रधानमंत्री प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह ने हिंदी के विकास मे भारतीय संतो, योगियों की भूमिकाओ पर विचार प्रस्तुत किया।प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा की हिंदी लोकतंत्र की भाषा है, जिसके द्वारा भारतीय शास्वत मूल्यों की स्थापना व जन चेतना की निर्मिति हो पाती है। जन भाषा के माध्यम से ही हम स्वयं व दूसरों से संबंध व सम्पर्क स्थापित करने मे सक्षम हो पाते है और इस जन भाषा के निर्माण का प्रारम्भिक स्वरुप हमें संतो व योगियों की वाणियों मे देखने को मिलता है।प्रोफेसर अखिलेश सिंह का मानना है की जो मूल भाषा है उसका अध्ययन उसी भाषा मे होना चाहिए, अनुवादित भाषा मे नहीं।मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित संत देवेंद्र दास ने कहा कि हिंदुस्तान की विरासत मे संस्कृति ही साहित्य की भूमिका है, चारों वेद हमारे पूर्वजों की धरोहर है। हिंदी ही वह भाषा है,जो कबीर को बहुत दूर बहुत दूर तक ले गई, तथा कबीर को उपनिषदों की सच्ची संतान बताया है और अपने वक्तव्य का समापन हंसा यह पिंजरा, नहि तेरा पद से किया।राष्ट्रीय संगोष्ठी का तृतीय सत्र प्रोफेसर अमरेंद्र त्रिपाठी की अध्यक्षता मे सम्पन्न किया गया। वक्ता के रूप मे उपस्थित डॉ धर्मेंद्र अग्रहरि, डॉ राकेश अग्रहरि, डॉ वीरेंद्र दत्ता, सीमा जैन, देवेंद्र कुमार सिंह और मार्तंड सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए।संगोष्ठी के दौरान धर्मेंद्र अग्रहरी, प्रवीण कुमार, वीरेन्द्र दत्ता, अमरेंद्र त्रिपाठी, डॉक्टर सीमा जैन, विनम्र सेन सिंह, राजेश तिवारी, देवेंद्र कुमार सिंह एवं सभी सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।




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