(बकावंड) शिक्षा का असली सार है विज्ञान - स्पंदन पाराशर

  • 30-Sep-25 02:43 AM

0 अपने स्कूल के बच्चों को हमेशा मोटिवेट करती हैं विज्ञान व्याख्याता स्पंदन
बकावंड, 30 सितंबर (आरएनएस)। स्वामी आत्मानंद स्कूल अलनार की विज्ञान विषय की व्याख्याता स्पंदन पाराशर अपने स्कूल के विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति समर्पण और समझ बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं। स्पंदन का मानना है कि विज्ञान ही शिक्षा का सार है। साइंस लेक्चरर स्पंदन पाराशर कहती हैं- जब भी मैं अपनी कक्षा में बच्चों से बातचीत करती हूं, उनकी आंखों में जिज्ञासा की चमक साफ दिखाई देती है। एक दिन एक छात्र ने मुझसे पूछा- मैडम, आसमान नीला क्यों होता है? उस क्षण मुझे फिर याद आया कि विज्ञान केवल किताबों का विषय नहीं है, बल्कि जीवन को समझने की एक सोच है। स्पंदन ने कहा है कि शिक्षा में विज्ञान का महत्व इसी सोच से जुड़ा है। यह हमें क्यों और कैसे पूछना सिखाता है। जब विद्यार्थी ऐसे प्रश्न करते हैं, तभी उनकी जिज्ञासा उन्हें सच्चे ज्ञान की ओर ले जाती है। सेजस अलनार की व्याख्याता स्पंदन पाराशर मानती हैं कि यही सवाल पूछने की आदत बच्चों को अंधविश्वासों से दूर रखती है और उन्हें तथ्य व तर्क के आधार पर आगे बढऩा सिखाती है। आज हम जिस मोबाइल, इंटरनेट, चिकित्सा या अंतरिक्ष यात्रा का लाभ उठा रहे हैं, वह सब विज्ञान की ही देन है। लेकिन विज्ञान का महत्व केवल तकनीक तक सीमित नहीं है। साफ सफाई रखना, ट्रैफिक नियम मानना, समय का पालन करना ये सब भी विज्ञान के सिद्धांत हैं, जो हमें बेहतर जीवन जीना सिखाते हैं।उन्होंने कहा कि माता-पिता और शिक्षक अगर बच्चों को खुलकर सोचने और प्रयोग करने की आज़ादी दें, तो वे न केवल अच्छे विद्यार्थी बनेंगे बल्कि बेहतर इंसान भी। स्पंदन पाराशर, जो स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय (सेजस) अलनार में विज्ञान की व्याख्याता हैं, हमेशा अपने विद्यार्थियों को यही समझाती हैं कि सवाल पूछने से कभी मत डरना, क्योंकि हर सवाल ज्ञान का एक नया दरवाज़ा खोलता है। स्पंदन ने कहा- आज की दुनिया प्रतिस्पर्धा और नवाचार पर आधारित है। ऐसे में विद्यार्थियों को केवल परीक्षा पास करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जीवन जीना सीखना होगा। यही दृष्टिकोण उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा। विज्ञान शिक्षा हमें केवल डिग्री ही नहीं देता, बल्कि हमें एक जिम्मेदार समाज और प्रगतिशील राष्ट्र की ओर ले जाता है। इसी विश्वास के साथ सेजस अलनार की व्याख्याता स्पंदन पाराशर कहती हैं- विज्ञान को केवल पढ़ो मत, उसे जीवन में उतारो। जब शिक्षा में विज्ञान को महत्व मिलेगा, तभी बच्चे अपने सपनों को साकार कर देश को नई ऊंचाइयों तक ले जा पाएंगे।
सतेन्द्र
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