
(बलरामपुर) अपनों ने ठुकराया गैरों ने जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी अपनाया
- 14-Jul-25 12:36 PM
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बलरामपुर/रामानुजगंज, 14 जुलाई (आरएनएस)। जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी अपनों ने ठुकराया वही जिंदगी के साथ एवं जिंदगी के बाद भी गैरों ने अपनाया। बात कर रहे हैं नगर के वार्ड क्रमांक साथ में रहने वाले 77 वर्षीय अशोक कश्यप जो बीते तीन से चार वर्षो से बीमार होने के बाद मेहनत मजदूरी नहीं कर पा रहे थे। परंतु उनकी देखरेख मोहल्लेवासी करते रहे वहीं कुछ दिनों से बीमार होने के बाद आज उनका निधन हो गया।
गौरतलब है कि लंबे समय से अशोक कश्यप रामानुजगंज के वार्ड क्रमांक 7 में सरस्वती देवी के यहा किराए के मकान में रह रहे हैं जब तक वह स्वस्थ थे तब तक उन्होंने किराया दिया। परंतु अस्वस्थ होने के बाद किराया देना बंद कर दिया परंतु उसके बाद भी 4 वर्षों से वह उन्हीं के यहां रह रहे थे। करीब एक माह पूर्व अस्वस्थ हुए तो इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग में कार्य करने वाले जगदीश दास को लगी तो उन्होंने भी मानवता का परिचय देते हुए अशोक कश्यप को अपने देखरेख में 100 बिस्तर अस्पताल में भर्ती कराया जहां कई दिनों तक इलाज चलता रहा इसके बाद स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो पाया तो वापस वार्ड क्रमांक 7 में आ गए थे। विगत 15 दिन से मरणासन्न स्थिति में थे बीती रात प्राण टूटा।
युवा पार्षद अर्जुन ने दिया इंसानियत का परिचय...... पूर्व पार्षद बिगु दास के पुत्र अर्जुन दास वर्तमान में वार्ड क्रमांक 7 के पार्षद है। अर्जुन ने इंसानियत का परिचय देते हुए जानकारी मिलते ही दाह संस्कार की व्यवस्था बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया इसके बाद दोपहर में अशोक कश्यप का दाह संस्कार हो सका।
सरस्वती देवी 4 वर्षों से नहीं ले रही है घर का किराया......... स्वर्गीय गोपाल केसरी की पत्नी सरस्वती देवी जिनके दो बच्चों एवं पति की दुर्घटना के बाद मौत हो गई थी वह पूर्णता किराया पर ही निर्भर है वही उनके द्वारा मानवता का अद्भुत मिसाल पेश करते हुए बीते 4 वर्षों से अशोक कश्यप जो उनके घर में किराया में रहते थे उनसे किराया नहीं लीया।
50 वर्ष पुराने दोस्ती का फर्ज निभाया आरएसएस के स्वंयसेक सोहराई कुशवाहा ने..... अशोक कश्यप बीमार होने के की जानकारी अशोक कश्यप के 50 वर्ष पूर्व से परिचित पुराने मित्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक सोहराय कुशवाहा को मिला।तो उन्हें गढ़वा तढ़वा से उन्हें देखने आए यहां तक की कई बार गढ़वा से आकर सेवा की मृत्यु के बाद भी जानकारी मिलने पर वह अंतिम क्रिया कर्म की सम्मिलित होने वाले एकमात्र जानने वाले व्यक्ति थे।
तीन बहन, बेटी पत्नी भरापूरा परिवार परंतु देखने कोई नहीं आए....... अशोक कश्यप के रामानुजगंज में भी रिश्तेदार है वही गढ़वा जिला में इनकी पत्नी बेटी व तीन बहने हैं सभी ठीक-ठाक संपन्न है परंतु सभी को जानकारी दी गई मदद तो छोडि़ए देखने तक नहीं आए।
अगल-बगल के लोगों ने दिया मानवता का परिचय, भोजन की नहीं होने दी कमी....... मानवता आज भी लोगों में जिंदा है यह साबित कर दिया वार्ड क्रमांक 7 के अशोक कश्यप के किराए के मकान के अगल-बगल के लोगों ने जब अशोक कश्यप मेहनत मजदूरी नहीं कर पा रहे थे ऐसी स्थिति में कई बार खाने के लिए पैकेट में ?1 नहीं रहता था ऐसे वक्त में अगल-बगल के लोग देवदूत के रूप में मदद करते थे। अशोक कश्यप जब बीमार पड़े एवं उठ नहीं पा रहे थे ऐसे समय मे वार्ड की महिलाओं सेवा में कोई कमी नही की।
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