(बाराबंकी)अनुबंधित बस मालिक सरकार को लगा रहे हैं लाखो का चूना

  • 28-Sep-25 12:00 AM

क्षमता 32 सीटों की, कागजों पर 41 का मिला अनुबंधबाराबंकी 28 सितंबर (आरएनएस)। जिले के परिवहन विभाग में बड़ा खेल खेला जा रहा है। मानकों को दरकिनार करके अधिकारियों से मिली भगत करके बस मालिक 32 सीट वाली अनुबंधित बसों को 41 सीटों का जुगाड़ लगाकर सरकार को लाखों का चूना लगा रहे हैं। इसकी षिकायत भी कई बार कई लोगों ने उच्चाधिकारियों से की। लेकिन उच्चाधिकारियों ने षिकायतों को नजर अंदाज कर दिया। जानकारी के अनुसार, जिले के बाराबंकी डिपो में लगभग 125 अनुबंधित बसें जिले के विभिन्न मार्गों पर दौड़ती हैं। बाराबंकी से हैदरगढ़, बाराबंकी-सिद्धौर वाया सुबेहा, बाराबंकी से दरियाबाद, बाराबंकी से टिकैतनगर, बाराबंकी से रामनगर, बाराबंकी से सफदरगंज, बाराबंकी से फतेहपुर, बेलहारा महमूदाबाद, बाराबंकी से लखनऊ व बाराबंकी से कुर्सी मार्गों पर अनुबंधित बसें संचालित होती हैं। जिनके आने जाने के लिए एआरएम कार्यालय से प्रतिमाह रुट चार्ट जारी किया जाता है। निर्धारित समय पर बसों का जाना और निर्धारित समय पर वापस आना तय रहता है। सबसे ज्यादा बसें बाराबंकी से फतेहपुर, टिकैतनगर, और हैदरगढ़ मार्ग पर संचालित होती हैं। हैदरगढ़ मार्ग पर एक दर्जन से ज्यादा अनुबंधित बसें संचालित की जा रही हैं। लेकिन इसी मार्ग पर चलने वाली दो अनुबंधित बसों में कई राज छिपे हुए हैं। इन बसों के मालिकों के ऊपर परिवहन विभाग के अधिकारियों की विषेष कृपा बनी हुई है। बसों में बैठने की क्षमता कम्पनी द्वारा 32 बस यात्रियों के लिए निर्धारित की गयी है। लेकिन बस मालिकों ने परिवहन विभाग और एआरटीओ विभाग के अधिकारियों से साठ गांठ करके 41 सीटों की क्षमता दिखा दी गयी है। हालात यहां तक हैं कि इस तरह की दर्जनों बसें विभिन्न मार्गों पर चल रही है। लेकिन इन बसों की क्षमता 32 यात्रियों के लिए ही आवंटित है। इन व्हील बेस 3400 है। लेकिन इसके बावजूद भी दो बसों का व्हील बेस सेम होने के साथ ही उन बसों को 41 सीटों की क्षमता का अनुबंध मिल गया है। शासन द्वारा 32 सीटों वाले अनुबंधित बसों के लिए प्रति किलो मीटर 7.59 पैसे निर्धारित किया गया है। जबकि 41 से 42 सीटों वाली अनुबंधित बसों के लिए सरकार द्वारा 9 रुपये 56 पैसे रेट निर्धारित किये गये हैं। हैदरगढ़ रोड पर संचालित दो अनुबंधित बसों पर विषेष कृपा दिखाने की दरियादिली जिले के परिवहन विभाग और एआरटीओ विभाग की मेहरबानी बरस रही है। इन बसों के मालिक सरकार को लाखों का चूना लगा चुके हैं और अभी भी सरकार को चूना लगाया जा रहा है। इस सम्बन्ध में जब सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक बाराबंकी जमीला खातून से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उनसे बात नही हो सकी। वहीं दूसरी तरफ बाराबंकी डिपो में लागू दो तरह से नियम कानूनों से बस मालिकों में आक्रोष व्याप्त हो गया है। बस मालिकों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि अगर जिले के परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कार्यवाही नही की तो इसकी षिकायत पहले परिवहन मंत्री और उसके बाद में मुख्यमंत्री के दरबार में की जायेगी। कुल मिलाकर बाराबंकी डिपो में जो खेल चल रहा है वह उससे पहले कभी नही देखा गया।




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